लखनऊ। राजनीतिक पार्टियों में आपराधिक व आर्थिक रूप से मजबूत लोगों की संख्या का ग्राफ तेजी से बढ़ा हैं। सभी राजनीतिक दलों को अपराधियों का साथ काफी पसंद आ है। पिछले 15 सालो में सभी दलों ने ऐसे लोगों को अपनाया है। चुनावी आंकड़ों पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (ADR) ने चुनावी आंकड़ों की रिपोर्ट के माध्यम से ऐसे कई खुलासे किये हैं।
एडीआर के मुताबिक, वर्ष 2004 से अब तक सपा से चुनाव लड़ने वाले 1286 में से 511 , बसपा के 1403 में से 491, बीजेपी के 1323 में 426, कांग्रेस के 1043 में से 292 और आरएलडी के 588 में से 114 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामलें खुद ही घोषित किये हैं। चौंकाने वाली बात ये है इनमें से कई गंभीर आपराधिक मामले हैं।
एडीआर ने अपने विश्लेषण में पाया कि बीजेपी से चुनाव लड़ने वाले 1323 में से 237, कांग्रेस के 1043 में से 148, बसपा के 1403 में से 311, सपा के 1286 में से 296 और आरएलडी के 588 में से 80 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामलें घोषित किये हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश के 34 एमएलए की आय में 300 गुना वृद्धि हुई है, जो काफी चौकाने वाली बात है।
प्रदेश के सभी लोकसभा क्षेत्रों में अक्टूबर से दिसंबर के बीच हुआ सर्वे
कई विधायकों की औसत संपत्ति 2007 में एक करोड़ रुपये थी, जो 2017 में बढ़कर सात करोड़ रुपये या उससे अधिक हो गई। साथ ही फिर से चुनाव लड़ने वालों की आय में करीब 60 गुना बढ़ोत्तरी दर्ज की गई। प्रतिनिधियों की माने तो उनका कहना है अगर आप लखनऊ में एक छोटा सा फ्लैट भी बेचते हैं तो आयकर नोटिस भेजता है। फिर इन प्रतिनिधियों के खिलाफ कभी इनकम टैक्स का नोटिस क्यों नहीं आता है?
यूपी से चुनाव लड़ने वाले सांसद और विधायकों में से 60 फीसद करोड़पति हैं। बीते 15 बरसों पर नजर डालें तो बार- बार चुने जाने वाले 31 विधायकों की सम्पत्ति में औसतन 523 फीसदी और 5 सांसदों की सम्पत्ति में 13.8 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। इनमें मऊ से विधायक मुख्तार अंसारी की संपत्ति 21 करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ी है। वहीं 38 फीसदी सांसद व विधायक दागी पाये गये हैं।
सर्वे में करीब 40 हजार लोगों को शामिल करने का दावा
जबकि रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि 2004 से अब तक बीजेपी से चुनाव लड़ने वाले 1323 में 426 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामलें घोषित किये है। कांग्रेस के 1043 में से 292, बसपा के 1403 में से 491, सपा के 1286 में से 511 और आरएलडी के 588 में से 114 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामलें खुद ही घोषित किये है। चौंकाने वाली बात ये है कि नेताओं ने गंभीर आपराधिक मामले भी खुद ही घोषित किए थे, जिनका एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में विश्लेषण किया है।
जी हां, 2004 से अब तक बीजेपी से चुनाव लड़ने वाले 1323 में से 237, कांग्रेस के 1043 में से 148, बसपा के 1403 में से 311, सपा के 1286 में से 296 और आरएलडी के 588 में से 80 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामलें घोषित किये हैं। रिपोर्ट जारी करते हुए इलेक्शन वॉच के संयोजक संजय सिंह ने कहा कि यह आंकड़ा बताता है कि चुनाव में पैसे का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
2004 से 19711 उम्मीदवारों की समीक्षा में पाया गया है कि 20 फीसदी करोड़पति उम्मीदवार ही खड़े हुए लेकिन चुनाव जीतने वाले 1443 में से 864 सांसद व विधायक यानी 60 फीसदी करोड़पति हैं। तो ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि अब राजनीति केवल करोड़पति लोगों के लिए ही बची है।
ADR की रिपोर्ट से नेताओं में खलबली
2004 से अब तक 235 सांसदों का शपथपत्र पलटने से साफ़ पता चलता है कि सांसदों की औसत संपत्ति 6.08 करोड़ रुपये है। पिछले तीन चुनावों में लगातार निर्वाचित होने वाले पांच सांसदों की माली हैसियत भी खूब बढ़ी है। मसलन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की संपत्ति 2004 में 55.38 लाख से 16 गुना बढ़कर 2014 में 9.40 करोड़ रुपये से अधिक हो गई। वहीं सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की संपत्ति 13 गुना बढ़ी, जबकि यूपीए संयोजक सोनिया गांधी की संपत्ति में लगभग 10 गुना का इजाफा हुआ है। बीजेपी सांसद और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी की संपत्ति भी पांच गुना बढ़ी है।
आंकड़े खोलते है इनकी पोल
- आजमगढ़ से सांसद, सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की संपत्ति 2004 में 1.5 करोड़ रुपये से बढ़कर 2014 में हो गई 15.96 करोड़ रुपये।
- पीलीभीत से भाजपा सांसद मेनका गांधी की सम्पत्ति 2004 में 6.67करोड़ से बढ़कर 2014 में 37.41 करोड़ हुई।
- मांठ से विधायक श्याम सुंदर शर्मा की सम्पत्ति में पांच करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। 2004 में इनकी सम्पत्ति सिर्फ 1.68 लाख थी जो 2017 में 5.98करोड़ पहुंच गई।
- 2012 में सबसे ज्यादा दागी विधायक विधानसभा पहुंचे। इसमें 403 में 183 दागी थे। 2017में 141 और 2007 में 139 दागी विधायक पहुंचे विधानसभा।