जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और उनके भाई प्रतीक यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। दरअसल आय से अधिक संपत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। आज यानी सोमवार को इन आरोपों की प्रारंभिक जांच बंद करने की सीबीआई रिपोर्ट की कॉपी मांगने वाली याचिका खारिज कर दी।
इतना ही नहीं, शीर्ष अदालत ने सीबीआई की 2013 की क्लोजर रिपोर्ट को मंजूरी भी दे दी। गौरतलब है कि सीबीआई द्वारा मामले को बंद करने को लेकर कांग्रेस के नेता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने याचिका दाखिल की थी।
इस याचिका में कोई योग्यता नहीं
जानकारी के मुताबिक, मामले में सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि 1 मार्च, 2007 और 13 दिसंबर, 2012 के फैसले के बाद सीबीआई ने 7 अगस्त, 2013 को मामले में अपनी प्रारंभिक जांच बंद कर दी थी। साथ ही 8 अक्टूबर 2013 को सीवीसी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। वहीं, यह याचिका छह साल बाद 2019 में दाखिल की गई है। इस याचिका में कोई योग्यता नहीं है इसलिए इसे खारिज किया जाता है।’
अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ नहीं मिला सबूत
सीबीआई ने 2019 में शीर्ष अदालत को बताया था कि आय से अधिक संपत्ति मामले में मुलायम और उनके दो बेटों- अखिलेश यादव और प्रतीक यादव के खिलाफ संज्ञेय अपराध होने का ‘प्रथम दृष्टया कोई सबूत’ नहीं मिला था। जिसके चलते प्रारंभिक जांच (पीई) को आपराधिक मामले में नहीं बदला गया था। साथ ही 7 अगस्त, 2013 के बाद मामले में कोई जांच नहीं की गई।
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गौरतलब है कि बीते साल 5 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने इस मामले में सुनवाई बंद करने से इनकार किया था। साथ ही कहा था कि वह यह तय करेगा कि सीबीआई द्वारा मामले की प्रारंभिक जांच बंद करने पर सीबीआई की रिपोर्ट की कॉपी दी जा सकती है या नहीं, इस पर सुनवाई करेगी।
आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कोई तर्क नहीं
वहीं अखिलेश और प्रतीक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा था कि सीबीआई ने प्रारंभिक जांच करने के बाद क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी है। साथ ही यह भी कहा है कि आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कोई तर्क नहीं बनता है।