जुबिली न्यूज़ डेस्क
इन दिनों अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्तों में कुछ खटास पड़ती नजर आ रही है, जिसकी वजह से दोनों देशों के रिश्ते बेहद ही नाजुक मोड़ पर हैं।इसके पीछे जो वजह बताई जा रही है वो है पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या को अमेरिका ख़ुफ़िया एजेंसी का सनसनीखेज दावा है।
दरअसल अमेरिका की ख़ुफ़िया एजेंसी ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में उसने दावा किया है कि सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के कहने पर पत्रकार की हत्या की गई थी।
अमेरिका ख़ुफ़िया एजेंसी के इस दावे को क्राउन प्रिंस ने सिरे से ख़ारिज कर दिया। गौरतलब है कि पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या साल 2018 में की गई थी। इस मामले में वॉशिंगटन में ईस्ट पॉलिसी के एक एक्सपर्ट सामन हेंडरसन का कहना है कि अमेरिका के लिए क्राउन प्रिंस से डील करना आसान नहीं होगा। वो काफी ताकतवर हैं।
बता दें कि पिछले साल मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर भी सऊदी अरब पर कई सवाल उठे थे। कई देशों और एक्सपर्ट को लगता है कि क्राउन प्रिंस सऊदी अरब को एक ‘रफ स्टेट’ बना सकते हैं। इसका मतलब है कि अंतराष्ट्रीय कानूनों को तोड़कर वो दूसरे देशों के लिए खतरा बन सकते हैं।
उधर जबसे जो बाइडेन के राष्ट्रपति बने हैं उसेक बाद से तस्वीर बदलने लगी है।इससे पहले डोनाल्ड्र ट्रंप के राष्ट्रपति रहते हुए दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी अच्छे थे। साथ ही ट्रंप और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच काफी करीबी रिश्ते बन गए थे।अभी कुछ दिनों पहले ही ट्रंप के दामाद जैरेड कुशनेर और क्राउन प्रिंस के बीच वॉट्सऐप पर चैट को लेकर भी खुलासे हुए हैं।
मालूम हो कि दोनों देशों ने सबसे पहले दोस्ती का हाथ साल 1945 में बढ़ाया था। उस समय फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट अमेरिका के राष्ट्रपति थे।उन्होंने उन दिनों किंग अज़ीज से बातचीत के बाद तेल को लेकर डील की थी। दरअसल उन दिनों अमेरिका दूसरे विश्व युद्ध के बाद अपने देश को आर्थिक मोर्चे पर मजबूत करने की कोशिश में लगा हुआ था। लेकिन मौजूदा हालात बदलने लगे हैं।
पहले की तरह अब अमेरिका सऊदी अरब पर तेल के लिए निर्भर नहीं है, हालांकि जबकि सऊदी अरब को सैन्य मोर्चे पर अमेरिका की जरूरत पड़ती रहती है। फ़िलहाल बाइडेन ने पहले ही इस बात का ऐलान कर दिया है कि यमन में वो साऊदी अरब की कार्रवाई का समर्थन नहीं करते हैं।