जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में गंगा तट पर सामूहिक आरती के लिए अब नगर निगम में पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है और नयी व्यवस्था 31 मार्च के बाद लागू की जाएगी।
आधिकारिक सूत्रों की माने तो जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने इस संबध में वाराणसी नगर निगम को एक निर्देश जारी किया, जिसमें पंजीकरण आवेदन पत्र प्रारूप समेत अन्य तैयारियां 31 मार्च तक पूरी करने को कहा गया है।
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बिना पंजीकरण घाटों पर कहीं भी आरती करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी। पंजीकरण एक वर्ष के लिए किया जाएगा तथा तय शर्तों का पालन करने वाली संस्थाओं एवं व्यक्ति समूहों को अगले साल के लिए पंजीकरण का नवीनीकरण किया जायेगा।
जिलाधिकारी का कहना है कि गंगा नदी के घाटों पर 17 फरवरी की शाम तक जहां- जहां आरती हुई थीं, उनकी सूची तैयार की जाये तथा उन संस्थाओं एवं व्यक्ति समूहों को उनका आगामी एक माह में उनका पंजीकरण सुनिश्चित करें। इसके लिए संबंधित प्रपत्र भी नगर निगम की तरफ से तैयार करके जारी किया जाये। अगले माह 31 मार्च तक यह कार्य पूर्ण किया जाये।
उन्होंने कहा कि इसके लिए नगर निगम के तहत गंगा घाटों के लिए एक नोडल अधिकारी भी नामित किया जाये। प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए जो भी संस्था/व्यक्ति घाटों पर आरती किये जाने के लिए आवेदन करें अथवा नवीनीकरण कराये। उनकी पुलिस (एलआईयू) के माध्यम से जांच तथा अन्य आवश्यक जांच पूरी कराते हुए उनके नवीनीकरण पर निर्णय लिया जाये।
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जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा का कहना है कि 31 मार्च के बाद केवल वे व्यक्ति समूह या संस्था घाटों पर आरती का आयोजन कर सकेंगे, जिनका पंजीकरण नगर निगम के द्वारा किया गया होगा। इसके लिए आवेदन करते समय घाट पर आरती के लिए प्रयोग किया जाने वाले स्थान, आरती किये जाने वाले व्यक्तियों की संख्या आदि का उल्लेख भी आवेदन करने समय करना होगा।
उन्होंने कहा कि पंजीकरण व्यवस्था के पीछे उद्देश्य यह है कि कोई भी व्यक्ति या संस्था आरती करने के नाम पर घाटों पर अतिक्रमण न करें तथा किसी भी दशा में घाटों का स्वामित्व बाधित करके उनके सार्वजनिक प्रयोग में बाधा डालने का कार्य न कर सके।
कौशल राज शर्मा का कहा है कि गंगा नदी के किनारे के सार्वजनिक घाट स्थायी रूप से सार्वजनिक सम्पत्ति है। इसका स्वामित्व राज्य सरकार का है। कुछ वर्ष पूर्व ये घाट संबंधित ग्राम समाज की सम्पत्ति रही होगी, लेकिन वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र में स्वामित्व होने की वजह से इसका प्रबंधन नगर निगम के पास है।
स्पष्ट है कि वर्तमान में इन घाटों का स्वामित्व राज्य सरकार का है तथा इसका प्रबंधन भी नगर निगम के पास है। जिलाधिकारी ने पत्र के माध्यम से इस संबंध नगर आयुक्त को ध्यान दिलाया है कि कभी- कभी यह देखने में आता है कि कुछ लोग इन घाटों पर आरती को लेकर विवाद करते हैं।
कुछ लोग नई आरती प्रारम्भ करते हैं तथा कई उनका विरोध करते हैं। इस बारे में नगर निगम को बिल्कुल स्पष्ट व्यवस्था करनी चाहिए कि घाटों पर जहां भी आरती होती है, उनका रजिस्ट्रेशन किया जाये। संबंधित संस्थाओं एवं व्यक्ति समूह को आरती के लिए स्थान का आवंटन एक- एक वर्ष के लिए किया जाना चाहिए। इसका नवीनीकरण प्रत्येक वर्ष होना जाना चाहिए।
साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि किसी भी घाट पर किसी भी निजी व्यक्ति अथवा संस्था द्वारा भविष्य में कोई भी सामूहिक आरती बिना नगर निगम की अनुमति के न की जाये। यह भी सुनिश्चित किया जाये कि एक ही संस्था या व्यक्तियों का समूह एक से अधिक घाटों पर आरती न करें।
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