Wednesday - 30 October 2024 - 6:55 AM

मेघालय में चौबीस घंटे से ज्यादा रुकना है तो कराना पड़ेगा रजिस्ट्रेशन

मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा.

न्यूज डेस्क

यदि आप मेघालय जाने का प्लान कर रहे है और 24 घंटे से ज्यादा रूकना है तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। दरअसल मेघालय कैबिनेट ने एक नवंबर को मेघालय रेजिडेंट्स सेफ्टी एंड सिक्योरिटी एक्ट (एमआरएसएसए) 2016 में संशोधन को मंजूरी दे दी। इसके तहत बाहर से आने वाले सैलानियों को राज्य में 24 घंटे से अधिक समय तक रूकने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना पड़ेगा।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कैबिनेट ने केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों को इस नए प्रवेश नियम के दायरे से बाहर रखा है।

मेघालय रेजिडेंट्स सेफ्टी एंड सिक्योरिटी एक्ट 2016 में संशोधन को मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस कैबिनेट ने मंजूरी दी। दरअसल राज्य में अवैध प्रवासियों को आने से रोकने के लिए इनर लाइन परमिट (आईएलपी) लागू करने की मांगों के बीच इस प्रावधान को शामिल किया गया।

गौरतलब है कि यह एक्ट पहले सिर्फ राज्य के किरायेदारों पर ही लागू था। इनर लाइन परमिट एक विशेष परमिट है, जो देश के अन्य क्षेत्रों से आए लोगों को अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम में प्रवेश करने की मंजूरी दे देता है। फिलहाल इन्हीं तीनों राज्यों में यह लागू है।

राज्य सरकार द्वारा मेघालय का यह नया प्रवेश नियम लागू किया जाएगा। मेघालय के उपमुख्यमंत्री प्रिस्टोन तिनसॉन्ग ने पत्रकारों से बातचीत में बताया, ‘यह संशोधन अध्यादेश के माध्यम से जल्द ही लागू होगा। इसे विधानसभा के अगले सत्र में नियमित किया जाएगा।’

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उपमुख्यमंत्री तिनसॉन्ग ने कहा कि यह अधिनियम उन लोगों के लिए है जो राज्य में घूमने, मजदूरी, व्यवसाय, शिक्षा और अन्य उद्देश्यों के तहत आने के इच्छुक हैं। यह निर्णय राजनीतिक दलों और गैर सरकारी संगठनों सहित विभिन्न हितधारकों के साथ बैठकों की श्रृंखला के बाद भी लिया गया था।

उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम पंजीकरण की सरल प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा नियमों को फिर से तैयार करेंगे और पंजीकरण ऑनलाइन भी करेंगे। एक बार नियम तैयार हो जाने के बाद इसे जल्द से जल्द कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जिला टास्क फोर्स अच्छा प्रदर्शन करे और यह सुनिश्चित करे कि देरी या उत्पीड़न का कोई सवाल न उठे।

उल्लंघन के मामले में अपराधी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 की 176 या 177 की धारा के तहत दंडित किया जाएगा।

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