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फंस गई लैब टेक्नीशियनों की भर्ती, क्या UPSSSC के अफसरों पर होगी कार्रवाई?

ओम दत्त

एक तरफ योगी सरकार नियुक्ति प्रक्रिया को तेज कर बेरोजगारी की समस्या के समाधान की दिशा में तेजी से कदम उठाने की कोशिश कर रही है तो दूसरी ओर आयोगों की लापरवाही नियुक्ति प्रक्रिया पर भारी पड़ रही है। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से लैब टेक्नीशियन की भर्ती प्रक्रिया विवाद में फंस गई है।

दरअसल आयोग ने नियुक्ति के लिए निकालने गए विज्ञापन में शैक्षिक योग्यता को लेकर गलती की। हालांकि बाद में स्थिति स्पष्ट होने के बाद भी आयोग ने भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ कर दी लेकिन कट ऑफ से कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों के चयन के विरोध में कुछ अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में रिट याचिका दायर कर दी। न्यायालय ने आदेश पारित किया है कि कोई भी नई भर्ती अग्रिम आदेशों तक नहीं की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि यह भर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार के समय निकाली गई थी और इसकी परीक्षा भी समाजवादी सरकार के समय ही हुई थी लेकिन इसका रिजल्ट बीजेपी सरकार के समय में निकाला गया।

ये है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयनआयोग द्वारा लैब टेक्नीशियन की भर्ती के लिए दिनांक 15 मई 20 को विज्ञापन किया गया था जिसमें 921 लैब टेक्नीशियन का चयन होना था। विज्ञापन में गलती होने के कारण आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों में लैब टेक्नीशियन का डिप्लोमा पाने वाले तथा बी एम एल टी अर्थात लैब टेक्नीशियन के बैचलर डिग्री प्राप्त अभ्यर्थियों ने आवेदन किया।

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इनमें कुछ अभ्यर्थी ऐसे थे जिनका रजिस्ट्रेशन स्टेट मेडिकल फैकल्टी में नहीं हुआ था। उन्होंने भी आवेदन किए। क्योंकि विज्ञापन में इस प्रकार की कोई बाध्यता का उल्लेख नहीं किया गया था कि स्टेट मेडिकल फैकल्टी में रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है जिसके कारण से डिग्री तथा डिप्लोमा प्राप्त अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था जबकि रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता न होना आयोग की त्रुटि थी।

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बाद में मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में गया जहां पर अध्यक्ष / सचिव उत्तर प्रदेश अधिनस्थ सेवा चयन आयोग पिकप भवन तृतीय तल गोमती नगर लखनऊ से क्वालिफिकेशन के बारे में स्पष्टीकरण मांगा गया था।

सके अनुपालन में आयोग द्वारा दिनांक 25 जनवरी 2017 को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य प्रदेश शासन’, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवायें,महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा, उत्तर प्रदेश शासन के सचिव और उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी लखनऊ को, पत्र लिखकर क्वालिफिकेशन के बारे में स्थिति स्पष्ट करने के बारे में अनुरोध किया था।

उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी में पंजीकरण है अनिवार्य

अध्यक्ष/सचिव उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन, आयोग के पत्र के अनुपालन में दिनांक 10 फरवरी 2017 को सचिव उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी ने सचिव उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पिकप भवन गोमती नगर लखनऊ को पत्र प्रेषित किया था जिसमें उल्लेख किया है कि कृपया लैब टेक्नीशियन के पद पर नियुक्ति हेतु जारी विज्ञापन में उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी में पंजीकरण आवश्यक कराते हुए पुनः विज्ञापन जारी कर नियुक्ति संबंधी कार्यवाही करने की अनुशंसा की गई थी ।

दिनांक 13 फरवरी 2017 को महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ने भी उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पिकप भवन गोमती नगर लखनऊ को पत्र प्रेषित कर उत्तर प्रदेश स्टेट मेडिकल फैकल्टी के सचिव द्वारा प्रेषित किए गए पत्र के अनुसार कार्रवाई किए जाने का अनुरोध किया था।

लेकिन उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिकारियों ने उक्त दोनों पत्रों का संज्ञान नहीं लिया गया और ना ही माननीय न्यायालय को इन पत्रों के बारे में अवगत कराया।

नियम विरूद्ध मनमाने ढंग से पूरी की भर्ती प्रक्रिया

उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिकारियों ने गलत भर्ती की प्रक्रिया को अंजाम दिया। यही नहीं उन पर यह भी आरोप लगा कि कटऑफ से कम अंक पाने वाले अपने चहेते अभ्यर्थियों का चयन भी कर लिया गया है‌।
अब इस चयन के विरोध में कुछ अभ्यर्थियों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में रिट याचिका दायर की गयी और माननीय न्यायालय द्वारा इस भर्ती पर रोक लगा दिया गया।

इस मुकदमे की सुनवाई बहुत बार हुई लेकिन कोई निष्कर्ष नही निकला बाद में कोविड-19 के समय इसके मद्देनजर कोर्ट में सुनवाई हुई और न्यायालय ने रोक को हटा दिया जिसके कारण से भर्ती प्रक्रिया पूरी हो गई।

अब निर्णय आने तक नहीं होगी कोई नयी भर्ती

माननीय इलाहाबाद हाईकोर्ट के सिंगल बेंच के रोक हटाने के आदेश को डबल बेंच में प्रिंस मिश्रा व दो अन्य लोगों ने चैलेंज किया जिसमें माननीय न्यायालय ने आदेश पारित किया है कि कोई भी नई भर्ती अग्रिम आदेशों तक नहीं की जाएगी।

क्या रद्द होगी भर्ती और दण्डित होंगे दोषी अधिकारी?

अब बड़ा सवाल बन गया है कि क्या यह भर्ती प्रक्रिया रद्द होगी और यदि न्यायालय द्वारा उक्त भर्ती को रद्द किया जाता है तो 921 लैब टेक्नीशियन के भविष्य का क्या होगा ?

क्या इन 921 लैब टेक्नीशियन को बेरोजगार बनाने के लिए उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, लखनऊ के तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ योगी सरकार कोई दण्डात्मक कारवाई करेगी?

लेखक जुबिली पोस्ट में एसोसिएट एडिटर है

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