न्यूज डेस्क
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का फैसला किया है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र-शासित प्रदेशों में बांटने का भी फैसला हुआ है। जम्मू-कश्मीर पहला केंद्र शासित प्रदेश होगा जिसमें एक विधानसभा होगी। दूसरा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख होगा जिसमें कोई विधानसभा नहीं होगी। गृह मंत्री अमित शाह ने इस संबंध में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश किया है। इस पर विपक्ष का हंगामा जारी है।
राज्यसभा में भारी गहमागहमी के बीच आज गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने की सिफारिश की है। इसके बाद विपक्षी दलों ने सदन में जमकर हंगामा किया।
राज्यसभा में अमित शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 के कई खंड लागू नहीं होंगे। सिर्फ खंड एक बचा रहेगा। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो जाएगा।
शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर अलग केंद्र शासित प्रदेश बनेगा और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाएगा। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के साथ केंद्र शासित प्रदेश बनेगा।
उधर, बहुजन समाज पार्टी ने सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। खबर यह भी है कि इस ऐतिहासिक फैसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात अगस्त को देश के नाम संबोधन देंगे।
गौरतलब है कि धारा 370 एक अस्थायी प्रावधान के तहत लाई गई थी जिसे 26 जनवरी 1957 को जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के साथ ही खत्म हो जाना था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। धारा 370 न सिर्फ जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देती है, बल्कि इस राज्य के लिए कानून बनाने के मामले में केंद्र की शक्तियां भी सीमित करती ह।. इस पर काफी समय से बहस होती रही है। इसे हटाना केंद्र में सत्ताधारी भाजपा के प्रमुख मुद्दों में से एक रहा है।
मालूम हो कि इससे पहले सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक हुई जिसमें प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और सुरक्षा से जुड़े अधिकारी शामिल थे। इसके बाद कैबिनेट की बैठक हुई, लेकिन कैबिनेट में क्या हुआ, इस बात की जानकारी देने के लिए होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस को टाल दिया गया।
कानून-व्यवस्था बनाये रखने के लिए ऐहतियाती कदम के तौर पर घाटी में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से रोक दी गयी हैं। इसके अलावा श्रीनगर में अगले आदेश तक धारा 144 लागू हो गई है और जम्मू में कफ्र्यू लगा दिया गया है।
वहीं इस फैसले के चलते राज्य में हालात बिगडऩे के मद्देनजर उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती सहित जम्मू-कश्मीर के कई प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार या फिर नजरबंद कर दिया गया है।
भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन : मुफ्ती
महबूबा मुफ्ती ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला दिन बताया है। उन्होंने कहा कि इसके भारतीय उपमहाद्वीप पर गंभीर प्रभाव होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत ने कश्मीर पर अपना वादा तोड़ दिया है।
Today marks the darkest day in Indian democracy. Decision of J&K leadership to reject 2 nation theory in 1947 & align with India has backfired. Unilateral decision of GOI to scrap Article 370 is illegal & unconstitutional which will make India an occupational force in J&K.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) August 5, 2019
श्रीनगर सहित कश्मीर घाटी के कई अन्य क्षेत्रों में अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं जो पिछले हफ्ते यहां पहुंचे थे। शहर में सचिवालय, पुलिस मुख्यालय, हवाई अड्डे और केंद्र सरकार के दफ्तरों जैसे अहम प्रतिष्ठानों के आसपास सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ा दी गई है। शहर में आने वाली सड़कों पर बैरीकेड लगाए गए हैं।
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