न्यूज डेस्क
देश में मंदी का दौर है। पिछले छह सालों में घटकर जीडीपी दर 5 प्रतिशत पर पहुंच गई है। हजारों लोगों की नौकरियां जा चुकी है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मुख्य रूप से कच्चे तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पादों में कमी के कारण जुलाई में आठ प्रमुख उद्योगों की वृद्धि दर घटकर 2.1 प्रतिशत पर आ गई है, जबकि पिछले साल जुलाई में इन उद्योगों की वृद्धि दर 7.3 फीसदी थी।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में इन प्रमुख उद्योगों की 40.27 फीसदी हिस्सेदारी है। कोयला, प्राकृतिक गैस, कच्चे तेल, और रिफाइनरी उत्पादों के उत्पादन में समीक्षा वाले महीने के दौरान नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। इसी प्रकार स्टील, सीमेंट और बिजली के उत्पादन में भी वृद्धि दर घटकर 6.9 फीसदी, 11.2 फीसदी और 6.7 फीसदी के मुकाबले 6.6 फीसदी, 7.9 फीसदी और 4.2 रही।
वहीं उर्वरक उत्पादन बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। जुलाई 2018 में 1.3 फीसदी की तुलना में जुलाई 2019 में उर्वरक उत्पादन 1.5 फीसदी बढ़ा है। अप्रैल-जुलाई की अवधि के लिए इन आठ सेक्टरों की विकास दर पिछले साल की समान अवधि के 5.9 फीसदी की तुलना में इस बार लगभग 3 फीसदी ही है।
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इन आठ क्षेत्रों की विकास दर में इस साल के अप्रैल से ही गिरावट आ रही है। अप्रैल में यह 5.8 फीसदी से घटकर 5.2 फीसदी हो गया था। फिर यह मई में 4.3 फीसदी और जून में 0.7 पर आ गया।
गौरतलब है कि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जून 2019 के लिए भारत की वृद्धि दर पिछले साल की इसी अवधि के 8 प्रतिशत की तुलना में घटकर 5 प्रतिशत रह गई। पिछले 25 तिमाहियों में सबसे कम वृद्धि दर का कारण विनिर्माण क्षेत्र में तेज गिरावट और कृषि उत्पादन में गिरावट है।
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