जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। सीमा पर चल रहे तनाव के बीच भारत एक बार फिर चीन को सबक सिखाने की तैयारी कर रहा है। दरअसल केंद्र सरकार ने फार्मा एवं मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्रीज के लिए प्रोडक्शन- लिंक्ड इंसेटिव्स योजना की शर्तों को सरल बना दिया है।
मेडिकल डिवाइसेज और दवाओं के लिए कच्चा माल तैयार करने वाली कंपनियों के लिए PLI योजना के तहत न्यूनतम जरूरत को घटा दिया है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार PLI योजना को बेहतर बनाने के लिए इंडस्ट्री से लगातार बातचीत कर रही है।
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बता दें कि PLI योजना के तहत आवेदन करने वाली कंपनियों के लिए अंतिम तारीख को 30 नवंबर 2020 तक बढ़ाया गया है। इसके अलावा सरकार ने 10 प्रोडक्ट्स के सालाना न्यूनतम उत्पादन की शर्तों में भी बदलाव किया है।
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इसमें टेट्रासाइक्लिन, नियोमाइसिन, पैरा अमिनो फिनॉल यानी पीएपी, मेरोपेनेम, आर्टेसुनेट, लोसार्टन, टेल्मिसार्टन, एसाइक्लोविर, सिप्रोफ्लोक्सासिन और एस्पिरिन है। सरकार की तरफ से यह डेडलाइन नियमों में बदलाव के बाद दिया गया है। पिछले सप्ताह ही नीति आयोग के प्रमुख अमिताभ कांत, और अन्य सरकारी विभागों की एक बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी।
फार्मास्युटिकल्स विभाग इस स्कीम को इसलिए लागू कर रही है ताकि एक्टिस फार्मास्युटिकल्स इंनग्रिडिएंट्स के लिए चीन की निर्भरता कम हो सके। सरकार ने इस योजना के ऐलान के समय पेनिसिलिन जी जैसी चार फर्मेन्टेशन- आधारित थोक दवाओं के निर्माताओं के लिए 400 करोड़ रुपये की आधार सीमा निर्धारित की थी।
इसके अलावा 37 अन्य थोक दवाओं के निर्माताओं के लिए 20- 50 करोड़ रुपये की आधार सीमा निर्धारित की थी। तीन साल तक के लिए मेडिकल डिवाइस प्लांट्स के लिए यह आधार सीमा 180 करोड़ रुपये था।
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