अविनाश भदौरिया
आखिरकार राहुल गांधी ने सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए बुधवार को अपना इस्तीफा देकर कांग्रेस अध्यक्ष पद को छोड़ ही दिया। राहुल गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से 6 पेज की चिट्ठी पोस्ट की है। इस चिट्ठी में उन्होंने खुद को लोकसभा चुनाव 2019 की हार के लिए जिम्मेदार बताया है।
राहुल गांधी ने ट्विटर पर चार पेज की चिट्ठी पोस्ट की है, जिसमें उन्होंने काफी कुछ लिखा है, लेकिन उनकी इस चिट्ठी की एक लाइन में बहुत कुछ छुपा हुआ है। इस लाइन पर गौर करें तो उन्होंने अध्यक्ष पद छोड़ने की वजह तो बताई ही है साथ में आगे के दिनों में संगठन में होने वाले बदलाव और कांग्रेस की कमजोरी की ओर भी इशारा किया है।
पहले पेज के दूसरे पैराग्राफ की दूसरी लाइन में राहुल ने लिखा है कि, ”accountability is critical for the future of our party.’ हिंदी में बोले तो ”हमारी पार्टी के भविष्य के लिए जवाबदेही महत्वपूर्ण है।”
राहुल गांधी की चिट्ठी की इस लाइन पर गौर करें तो तीन शब्द पूरी कहानी कह रहे हैं। ये शब्द हैं- पार्टी, भविष्य और जवाबदेही। वर्तमान परिस्थिति में कांग्रेस के लिए ये शब्द काफी महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, जवाबदेही कांग्रेस के नेताओं की डिक्शनरी में नहीं है और भविष्य में पार्टी को दोबारा खड़ा करना है तो कांग्रेस का कल्चर बदलना बहुत जरुरी है।
शायद इस बात को ध्यान में रखते हुए ही राहुल गांधी ने स्वयं हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देकर मिसाल पेश की है ताकि अब वह अपनी ही पार्टी के उन बरगद रुपी विशाल नेताओं से सवाल कर सके।
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गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए राहुल गांधी कई बार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से नाखुश नजर आए लेकिन वह अब तक उन पर खुलकर कुछ नहीं बोल सके। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि राहुल गांधी खुलकर खेलने के मूड में हैं और इसलिए ही उन्होंने यह फैसला लिया है।
राहुल गांधी के एक और बयान पर गौर करें तो उनके फ्यूचर प्लान का आकलन लगाया जा सकता है। राहुल गांधी ने अपनी इस चिट्ठी में एक जगह लिखा है कि, वह किसी भी तरह से लड़ाई से पीछे नहीं हट रहे। उन्होंने लिखा है कि, मैं कांग्रेस पार्टी का एक निष्ठावान सिपाही और भारत का एक समर्पित बेटा हूं और अपनी अंतिम सांस तक उनकी सेवा और सुरक्षा करता रहूंगा।
बतादें कि इससे पहले भी यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से बातचीत में कह चुके हैं कि वह एक कार्यकर्ता के तौर पर कांग्रेस के लिए काम करेंगे। उनके इस फैसले की वजह एकदम स्पष्ट है। राहुल को अब यह बात समझ आ गई है कि कांग्रेस पार्टी में नेता तो अभी भी खूंटा गाड़े खड़े हुए हैं लेकिन कार्यकर्ता गायब हैं और बिना कार्यकर्ताओं के नेता का कोई अस्तित्व नहीं होता।