जुबिली न्यूज़ डेस्क
आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच भीषण जंग जारी है। अजरबैजान ने इस जंग में अब तक आर्मीनिया के 550 सैनिकों के मारे जाने की बात कही है। ये जंग विवादित क्षेत्र नागोनरे और काराबाख पर कब्जे को लेकर हो रही है। मौजूदा तनाव 2018 में शुरू हुआ था, जब दोनों सेना ने सीमा से सटे इलाके में अपनी सेनाओं को बढ़ा दिया था।
इस जंग को लेकर अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि आर्मीनियाई बलों ने बीते दिन टारटार शहर पर गोलाबारी शुरू कर दी। जबकि आर्मीनिया के अधिकारियों का कहना है कि लड़ाई रातभर जारी रही और अजरबैजान ने सुबह के समय घातक हमले शुरू कर दिए। अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय की और एक समाचार एजेंसी को बताया कि लड़ाई में आर्मेनिया के 550 से अधिक सैनिक मारे जा चुके हैं।
अजरबैजान के इस दावे को आर्मीनिया के अधिकारियों ने खारिज कर दिया किया है। और ये दावा किया कि अजरबैजान के चार हेलीकॉप्टरों को मार गिराया गया। जिस इलाके में सोमवार सुबह लड़ाई शुरू हुई, वो अजरबैजान के तहत आता है, लेकिन यहां पर 1994 से ही आर्मीनिया द्वारा समर्थित बलों का कब्जा है।
फ़िलहाल अजरबैजान के कुछ क्षेत्रों में मार्शल लॉ लगाया गया है और कुछ प्रमुख शहरों में कर्फ्यू के आदेश भी दिए गए हैं।
क्यों शुरु हुआ विवाद
दोनों देशों के बीच ये लड़ाई साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ ही शुरू हो गई थी। उस समय नागोर्नो-काराबाख स्वायत्त क्षेत्र को आधिकारिक तौर पर आजाद घोषित किया गया था। दोनों देशों के बीच शुरू हुई इस लड़ाई में अब तक करीब 30 हजार लोगों को जान जा चुकी है जबकि हजारों लोग बेघर हो चुके हैं।
नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र
यह क्षेत्र करीब 4,400 वर्ग किमी में फैला है। यहां की 95 फीसद आबादी आर्मेनियाई रीति-रिवाज को मानती है। 1993 तक आर्मेनिया न सिर्फ नागोर्नो-काराबाख को अपने नियंत्रण में ले चुका था, बल्कि अजरबैजान के 20 फीसदी हिस्से पर भी कब्जा कर लिया था। एक साल बाद रूस के हस्तक्षेप से दोनों देशों में संघर्ष विराम समझौता हुआ।
रूस व तुर्की का अहम किरदार
इन दोनों देशों के बीच की लड़ाई में रूस व तुर्की की अहम भूमिका रही है। तुर्की को अजरबैजान का समर्थन प्राप्त है, जबकि आर्मेनिया के रूस से प्रगाढ़ रिश्ते हैं। रूस सोवियत राज्यों के कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन का नेतृत्व भी करता है, जिसमें आर्मेनिया भी शामिल है।
और बढ़ सकती है लड़ाई
दोनों देशों की लड़ाई आगे और तेज हो सकती है। हालांकि, अमेरिका, फ्रांस, रूस व ईरान जैसे देशों ने युद्ध खत्म करने की अपील की है, लेकिन तुर्की ने अजरबैजान के समर्थन की घोषणा की है। और अजरबैजान के राष्ट्रपति इलहाम अलियेव भी नागोर्नो-काराबाख को वापस हासिल करने के लिए संघर्ष की घोषणा कर चुके हैं।