न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) खस्ताहाल बैंकों के अमीर अधिकारियों पर लगाम कसने की तैयारी में है। बैंकों के खराब परफॉर्मेंस पर उन्हें मिलने वाली सैलरी में कटौती की जा सकती है।
बैंक के खराब परफॉर्मेंस पर शीर्ष अधिकारियों का वैरिएबल कम्पेनसेशन का हिस्सा शून्य तक किया जा सकता है। इस स्थिति में शीर्ष अधिकारियों की सैलरी आधी हो सकती है। इनमें चीफ एग्जीक्यूटिव (CEOs), पूर्ण कालिक निर्देश (WTDs) और मैटेरियल रिस्क टेकर्स (MRTs) पद पर तैनात अधिकारी शामिल हैं।
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नया नियम 1 अप्रैल 2020 से लागू किया जाएगा जो कि स्थानीय क्षेत्र के बैंकों, छोटे वित्त बैंकों और भुगतान बैंकों सहित निजी क्षेत्र के बैंकों पर लागू होगा। इस नियम के लागू होते ही टॉप पर तैनात अधिकारियों की आधी सैलरी उनके अकेले और बैंक के परफॉर्मेंस पर आधारित होगी।
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शीर्ष बैंक ने कहा है कि टॉप लेवल पर तैनात अधिकारियों के बीच ‘पे फॉर परफॉर्मेंस’ सिद्धांत सही से लागू होने चाहिए। बता दें कि वैरिएबल कम्पेनसेशन में कटौती करने के नए नियम से ये अधिकारी मोटी सैलरी नहीं ले सकेंगे।
वैरिएबल कम्पेनसेशन सैलरी का वह हिस्सा होता है जो परफॉर्मेंस के आधार पर तय होता है। देखा गया है कि बैंक के अधिकारी बैंकों की खस्ता हालत होने पर भी मोटी सैलरी पाते हैं। आरबीआई ने इसको ध्यान में रखते हुए नया नियम लागू किया है।
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आरबीआई ने कहा है कि अधिकारियों की सैलरी में फिक्स्ड पे और वैरिएबल कम्पेनसेशन या वैरिएबल पे में ज्यादा अंतर नहीं होना चाहिए। कुल वैरिएबल पे फिक्स्ड पे के 300 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता।
अगर वैरिएबल पे फिक्सड पे का 200 प्रतिशत है तो इसका 50 प्रतिशत वैरिएबल पे नॉन कैश इंस्ट्रूमेंट और 200 प्रतिशत अधिक होने पर इसका 67 प्रतिशत वैरिएबल पे नॉन कैश इंस्ट्रूमेंट होना चाहिए।