न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद दोबारा सत्ता में लौटी मोदी सरकार के सामने कई चुनौतियां मुंह बाए खड़ी है। पिछले पांच साल के दौरान रोजगार, महंगाई और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मोदी सरकार को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
हालांकि, इस बीच पीएम मोदी अपने भाषाणों में एनडीए सरकार के दौरान एक भी घोटाले न होने की बात कहते रहे हैं। लेकिन रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) की माने तो मोदी सरकार में बैंक घोटालों की संख्या बढ़ रही है।
आरबीआई के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में बैंक धोखाधड़ी के 6,800 मामले सामने आए। इनमें रिकॉर्ड 71,500 करोड़ के फ्रॉड हुए। बैंक धोखाधड़ी के मामलों की राशि में एक साल में 73% इजाफा हुआ है। 2017-18 में 5,916 मामलों में 41,167.03 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई थी।
आरबीआई ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी में ये आंकड़े बताए हैं। जारी आंकड़े इसलिए भी अहम हैं क्योंकि बैंक नीरव मोदी और विजय माल्या जैसे फ्रॉड के बड़े मामलों से जूझ रहे हैं।
धोखाधड़ी के बड़े मामलों को देखते हुए सेंट्रल विजिलेंस कमीशन (सीवीसी) ने विश्लेषण कर 100 बड़े मामलों की रिपोर्ट पिछले साल पेश की थी। सीवीसी ने अपनी रिपोर्ट में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर और मॉनिटरिंग सिस्टम को मजबूत बनाने की सलाह दी थी।
आरबीआई ने कहा है कि धोखाधड़ी के मामलों में बैंकों को आपराधिक मामले दर्ज करवाने पड़ते हैं। आरबीआई के मुताबिक बैंकों की ओर से यह जानकारी नहीं मिल पाई कि कितने मामलों में कार्रवाई की गई या की जा रही है। आरबीआई की माने तो पिछले 11 वित्त वर्षों में फ्रॉड के कुल 53,334 मामलों में 2.05 लाख करोड़ रुपए फंसे हैं।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 11 वित्त वर्षों में कुल 2.05 लाख करोड़ रुपए की भारी धनराशि की बैंकिंग धोखाधड़ी के कुल 53,334 मामले दर्ज किए गए। 2008-09 में 1,860.0 करोड़ रुपए के 4,372 मामले सामने आए।
इसके बाद 2009-10 में 1,998.94 करोड़ रुपए के 4,693 मामले और 2016-17 में कुल 23,933.85 करोड़ रुपए मूल्य के 5,076 मामले सामने आए। आरबीआई ने कहा कि उसे धोखाधड़ी के बारे में दी गई। जानकारी को लेकर बैंकों द्वारा कानून लागू करने वाली एजेंसियों के समक्ष आपराधिक शिकायत दर्ज कराना आवश्यक होता है।