- पेशेवर हत्यारों ने की रणजीत बच्चन की हत्या
- पुलिस कमिश्नरी सिस्टम की पहली कड़ी परीक्षा
राजीव ओझा
लखनऊ में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद हजरतगंज से लगे इलाके में सन्डे की सुबह सरेआम गोली मार कर हत्या के क्या मायने हैं ? मतलब साफ़ है हत्यारों में खौफ नहीं है। उनका शिकार चाहे सुदूर ग्रामीण इलाके में हो या बेगम हजरत महल पार्क के पास की छतर मंजिल का पॉश इलाके में हिन्दूवादी नेता रणजीत बच्चन, अपराधियों को फर्क नहीं पड़ता। लेकिन फर्क तो पड़ता है अगर पुलिस त्वरित कार्रवाई करते हुए अपराधियों को चौबीस घंटे के अन्दर दबोच ले। ऐसा होने लगे तो दुर्दांत से दुर्दांत अपराधी पुलिस से कांपने लगेंगे, खौफ खायेंगे।
अब दूसरा सवाल, विश्व हिंदू महासभा के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष रणजीत बच्चन की हत्या के पीछे क्या मोटिव था ? वारदात के वक्त रणजीत के साथ आदित्य कुमार श्रीवास्तव थे। आदित्य के मुताबिक हमलावर ने मोबाइल छीनने के बाद रणजीत को पहली गोली मारी, वहीं भागते वक्त दूसरी गोली आदित्य को मारी, जो उसके बाएं हाथ में लगी। कहा जा रहा है कि अपराधी दो थे और उन्होंने पहले रणजीत से मोबाइल छीना और फिर सर से सटाकर गोली मार दी।
मोबाईल झपटमार मोबाइल झपटने के बाद फरार हो जायेगा सर से सटा कर गोली नहीं मरेगा, घिरने पर ही गोली चलाएगा। इससे साफ़ है की हत्यारों का इरादा मोबाइल छीनना नहीं बल्कि रणजीत की हत्या ही था। हत्यारों ने रेकी के बाद सुबह का समय चुना था और पेशेवर लगते हैं।
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सीसीटीवी फुटेज में साफ़ दिख रहा है कि हत्यारा शाल से अपने चेहरे को ढके हुए है, लेकिन शाल ठीक करने की कोशिश में कुछ सेकेंड के लिए उसका चेहरा खुल गया है।
रणजीत की हत्या सुपारी किलिंग भी हो सकती है। रणजीत एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति थे और समाजवादी पार्टी से होते हुए वर्तमान में भगवाधारी हो गए थे। हिंदू महासभा के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष थे इस लिए उनकी पहचान हिन्दूवादी नेता के रूप में थी। ऐसे में रणजीत की हत्या की वारदात को जानबूझ कर ऐसे समय चुना गया जब समाज में सीएए और एनआरसी के मुद्दे गर्म हैं और समाज को सांप्रदायिक आधार पर बांटने का प्रयास किया जा रहा है। हत्या कराने वालों ने बड़ी चतुराई से इस समय को चुना।
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रणजीत एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति थे इसका पता उनके प्रोफाइल से चलता है। विश्व हिन्दू महासभा के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष रणजीत बच्चन कायस्थ बहुल ग्राम अहिरौली, पोस्ट अरहनगर, विधानसभा क्षेत्र चिल्लुपार गोरखपुर के मूल निवासी थे। वर्तमान पता ग्राम गुलरहियाँ, टोला पतरका, गोरखपुर था। वह लगभग 18 वर्ष से सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में सक्रिय थे। उन्होंने भारत-भूटान साइकल यात्रा दल का नेतृत्व किया था। इसके लिए लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड मे उनका नाम दर्ज हुआ। वह भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे। साथ ही वह एक सक्रिय रंगकर्मी भी थे। रणजीत बच्चन को लेकर कुछ घरेलू विवाद का पता भी चला है। बताया जा रहा कि उन्होंने एक पत्नी के रहते दूसरी शादी की थी और लखनऊ में उन्हीं के साथ रहते थे।
रणजीत बच्चन औऱ उनकी पत्नी कालिंदी शर्मा बच्चन जो ओसीआर बिल्डिंग मे रहते थे। 2002 से 2009 के बीच में वह पूरे भारत मे सपा की तरफ से निकाली गई साईकिल यात्रा मे शामिल हुये थे। उन्हे इस कार्यक्रम में अच्छे कार्यो के लिये राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भी किया गया था।
पुलिस ने मृतक रणजीत के करीबी आशीष पटेल की पत्नी से भी पूछताछ की है। रणजीत के हत्यारे के बारे में सूचना देने वाले व्यक्ति को पुलिस की तरफ से 50 हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा।
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कुल मिलकर यह हत्या सिर्फ मोबाइल छीनने को लेकर की गई नहीं लगती। हत्यारे पेशेवर थे। मामला राजनितिक भी हो सकता है और घरेलू भी। लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम के लिए यह पहला टेस्ट है। अब देखना है की पुलिस को इसमें डिशटिंक्शन मिलता है या सिर्फ पासिंग मार्क्स।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)