जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. आर्थिक संकट से जूझ रहे पड़ोसी देश श्रीलंका में रानिल विक्रमसिंघे ने नए प्रधानमंत्री के रूप में देश की कमान संभाली है. 73 साल के विक्रमसिंघे 2018-19 में श्रीलंका में प्रधानमंत्री रह चुके हैं. उन्होंने चार बार देश की कमान संभाली है. विक्रमसिंघे को हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे का करीबी माना जाता है लेकिन राष्ट्रपति कार्यालय ने स्पष्ट कर दिया है कि नई सरकार महिंद्रा राजपक्षे के परिवार का कोई भी सदस्य शामिल नहीं किया जायेगा.
रानिल विक्रमसिंघे ऐसे समय में श्रीलंका के प्रधानमंत्री बने हैं जबकि पूरे देश में ज़बरदस्त बवाल चल रहा है. जगह-जगह विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. आर्थिक रूप से चरमराये देश में लोगों की नाराजगी मुखर हो चुकी है. विक्रमसिंघे के सामने सरकार बनाने के बाद दो चुनौतियाँ एक साथ होंगी. एक तरफ तो उन्हें विरोध प्रदर्शन शांत करने हैं तो दूसरी तरफ आर्थिक संकट से देश को उबारना है.
आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में ईंधन के साथ-साथ खाद्य पदार्थों और दवाइयों की ज़बरदस्त कमी हो गई है. हालात जब बाद से बदतर हो गए और लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया तो महिंद्रा राजपक्षे की सरकार दमन पर उतर आई. पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया और सभी सरकारी कार्यालयों पर सेना तैनात कर दी लेकिन उग्र नागरिकों के प्रदर्शन से घबराकर प्रधानमन्त्री को इस्तीफ़ा देना पड़ा, श्रीलंका के नागरिकों ने प्रधानमन्त्री का घर फूंक दिया. एक मंत्री को कार समेत नदी में फेंक दिया और उपद्रव में एक सांसद की मौत हो गई.
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