जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी में डेढ़ सौ साल से भी पहले जन्मे राष्ट्र नायक महात्मा गांधी की जयंती की पूर्व संध्या पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्र के भक्तिभाव भरे भजनों की गूंज उठी। भजन कार्यक्रम का आयोजन अकादमी परिसर गोमतीनगर के संत गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह में चौरी-चौरा शताब्दी महोत्सव और आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत किया गया था।
अतिथियों की उपस्थिति में महात्मा गांधी का पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कार्यक्रम का आरम्भ हुआ। इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत करते हुए अकादमी के सचिव तरुण राज ने अहिंसा के पुजारी को श्रद्धांजलि दी। महात्मा गांधी के सत्य के प्रयोगों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि जिन सिद्धांतों को गांधीजी ने दूसरों को बताया, उन्हें पहले खुद के आचरण में उतारा। भक्तिरस से भरपूर कार्यक्रम का श्रीराम के भक्तों, गांधीजी के अनुयायियों और सुधी संगीतप्रेमियों ने अकादमी फेसबुक पेज पर आनलाइन भरपूर आनंद लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत लखनऊ की गायिका विभा सिंह ने गोस्वामी तुलसीदास की भजन रचना- जाके प्रिय न राम वैदेही से समर्पण भरे स्वरों में की। गायिका की स्वरबद्ध की ये प्रस्तुति राग यमन पर आधारित थी। विभा देश-प्रदेश में अनगिनत कार्यक्रम करने के साथ तीन वर्ष पहले थाईलैंड में गायन कर सम्मानित हो चुकी हैं। गायन में पीएचडी कर रही भातखंडे संगीत संस्थान से संगीत निपुण गुरु गणेश प्रसाद मिश्र व उस्ताद गुलशन भारती की शिष्या विभा सिंह ने मानस रचयिता गोस्वामीजी की राग शिवरंजनी में निबद्ध और खुद की स्वरबद्ध एक और भजन रचना- वन चले राम रघुराई को प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं में करुणा का संचार किया।
केशरीनाथ त्रिपाठी की रचना- मैंने भजा है जय श्री राम…. को राग जोग में बांधकर विभा ने अपनी रचनात्मक क्षमता का परिचय कराया और आगेनरसी मेहता के रचे और पारंपरिक धुन एवं और मिश्र खमाज राग पर आधारित बापू के प्रिय भजन- वैष्णव जन तो ते ने कहिये सुनाकर सुधी श्रोताओं की वाहवाही पाई। विभा के साथ तबले पर कुशल संगतकार पवन तिवारी, सितार डा.नवीन मिश्र ने सुंदर साथ दिया।
कार्यक्रम के दूसरे कलाकार के तौर पर कथा, प्रचचन व सुगम गायन में सिद्धहस्त और गुरु निम्बकाचार्य से दीक्षित मथुरा के सर्वेश्वर शरण भक्ति सरिता का आरम्भ राग भैरवी में बंधी नाम धुन- राजाराम राम राम सीता राम राम राम……से मधुर स्वरों में की। सधे गायक सर्वेश्वर ने गायन के बीच-बीच में श्रीराम प्रसंगों की चर्चा करते हुए- राम नाम अति मीठा है कोई गाके देख ले…., वैष्णव जन….., राम नाम के साबुन से जो मनका मैल छुड़ाएगा और रघुपति राघव राजा राम जैसे लोकप्रिय कई भजन और सुनाए।
सहगायक के रूप में हारमोनियम पर बैठे बलराम और मंजीरा बजा रहे अशोक ने बेहतर साथ निभाया। अन्य सहयोगी कलाकारों के तौर पर तबले पर अभिषेक और बैन्जो पर कृष्णगोपाल ने गायन के अनुरूप श्रवणीय साथ दिया।
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