जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ। सहजता के साथ समर्पण और निरंतर अभ्यास आपको विधा में विशेषज्ञ बना सकता है। प्रसिद्ध रंगकर्मी राजा अवस्थी से उनके रंगमंचीय सफर पर दुर्गा शर्मा की हुई बातचीत में यह बात सामने आई। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी गोमतीनगर परिसर में अकादमी अभिलेखागार के लिए हुई यह बातचीत अकीदमी फेसबुक पेज पर जीवंत चल रही थी। बहुत से रंगप्रेमियों ने कार्यक्रम का सजीव प्रसारण देखा और सुना और पसंद करने के संग अपनी टिप्पणियां दीं।
अकादमी अवार्ड से नवाजे जा चुके हरिशंकर अवस्थी उर्फ राजा अवस्थी का स्वागत करते हुए अकादमी सचिव तरुण राज ने कहा कि मंचीय अनुभव ही रंगकर्मियों की धरोहर होते हैं, जिनसे आगे की पीढ़ी बहुत कुछ सीख सकती है। उम्मीद है यह रिकार्डिंग भी उसी शृंखला में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी।
राजा अवस्थी ने बताया कि उनका सफर चंदरनगर आलमबाग लखनऊ में भरत की छोटी से भूमिका से शुरू हुआ और फिर आगे जाकर रामलीला में शायद ही कोई भूमिका छूटी हो। रामलीला का यही स्थल उनकी लगन, मेहनत और निरंतर अभ्यास का प्रेरणस्रेात रहा जिसने परम्परागत रामलीला से आधुनिक रंगमंचीय प्रयोगों के लिए उन्हें आत्मविश्वास दिया। कुंवर कल्याण सिंह, राजेश्वर बच्चन जैसे नाट्य निर्देशकों के साथ रंगमंच करने का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि नार्वे में सन् 1991 में हुए विश्व नाट्य समारोह मे भाग लेना उनके रंगमंचीय जीवन का चरम था, जहां 35 देशों के बीच सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ द्वारा निर्देशित मेघदूत लखनऊ के इस नाटक नाटक को प्रथम स्थान मिला और लखनऊ रंगजगत के संग उन्हें ख्याति मिली।
अपने द्वारा मुंशी प्रेमचंद की कहानी कफन के अवधी रूपांतरण और निर्देशन का अनुभव सामने रखते हुए उन्होंने बताया कि यह नाटक देखकर कुमुद नागर ने इसे दूरदर्शन में प्रस्तुत करने के लिए चुना। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के साथ निर्देशित किये संस्कृत नाटकों का लम्बा अनुभव सामने रखते हुए राजा अवस्थी ने बताया कि संस्कृत नाटकों में अभिनेता की तल्लीनता ने उन्हें बेहद आकर्षित करती है, जबकि ये तल्लीनता हिन्दी या अन्य भाषाओं में उतनी नहीं दिखती।
दूरदर्शन के साथ किये नाटकों व नीम का पेड़ व आधा गांव जैसे टीवी धारावाहिकों का जिक्र करते हुए उन्होने कहा कि आज के कलाकारों की नई पीढ़ी तो पहले टीवी धारावाहिकों में अभिनय की सोचती है और फिर इसी सोच के साथ रंगमंच से जुड़ती है। कई महोत्सवों में पुरस्कृत हुए फिल्म यथार्थ के लिए अपने फिल्मी सफर की शुरुआत बताते हुए उन्होंने ‘लगान’ में आमिर खान को अवधी संवाद सिखाने के अनुभव सामने रखे और बताया कि स्वदेश में निर्देशक आशुतोष गोवारिकर ने शाहरुख खान का परिचय कराते हुए कहा था कि ये वही राजा अवस्थी हैं जिन्हें लगान में डाइरेक्टर के अलावा सीन ‘कट’ कहने का अधिकार था।
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इसी तरह पत्नी व अन्य परिवारीजनों के सहयोग के उदाहरण और अनुभव सामने रखे। अकादमी की नाट्य सर्वेक्षक शैलजाकान्त के समन्वय में हुए इस आनलाइन फेसबुक कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग पवन तिवारी का रहा।