अयोध्या. श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में रामनवमी के पावन अवसर पर भव्य आयोजन के बीच आज सुबह ठीक 12:00 बजे भगवान रामलला का सूर्य तिलक संपन्न हुआ। इस ऐतिहासिक क्षण में लाखों श्रद्धालु दिव्यता और आस्था के साक्षी बने।
रामनवमी के दिन, जब भगवान श्रीराम का जन्म माना जाता है, उसी क्षण सूर्य की किरणों के माध्यम से रामलला के मस्तक पर तिलक किया गया। इस दृश्य को देख भक्तों की आंखों में श्रद्धा और भक्ति के आंसू छलक पड़े।
विशेष तकनीक से हुआ सूर्य तिलक
राम मंदिर निर्माण में विज्ञान और ज्योतिष का सुंदर समन्वय देखने को मिला। मंदिर के गर्भगृह में एक विशेष सौर यंत्र लगाया गया है, जिसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि हर वर्ष रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे सूर्य की सीधी किरणें भगवान रामलला के मस्तक पर पड़ें और तिलक का आभास कराएं।
इस कार्य में भारत के खगोल वैज्ञानिकों, वास्तु विशेषज्ञों और इंजीनियरों की टीम ने वर्षों तक शोध कर यह संभव किया। इस तकनीकी चमत्कार को देखकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो उठे।
पूरे देश में उल्लास
अयोध्या सहित देशभर में रामनवमी की धूम रही। मंदिरों में घंटा-घड़ियाल की मधुर ध्वनि गूंज उठी, कीर्तन और भजन-कीर्तन से वातावरण भक्तिमय हो गया। कई स्थानों पर झांकियां, शोभा यात्राएं और सुंदरकांड पाठ का आयोजन भी हुआ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लिखा, “रामनवमी के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं। अयोध्या में रामलला के सूर्य तिलक का दृश्य अभूतपूर्व और भावुक कर देने वाला है। यह हमारे सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है।”
सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम
रामनवमी पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। ड्रोन कैमरों से निगरानी, एनएसजी कमांडो की तैनाती, और स्वास्थ्य सेवाओं की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की गई।
चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन रामनवमी मनाई जाती है और आज देशभर में यह उत्सव मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र मास की नवमी तिथि को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है क्योंकि दशरथ नंदन को श्रेष्ठ पुरुषों की संज्ञा दी गई है। भगवान राम ने एक आदर्श चरित्र प्रस्तुत कर समाज को एक सूत्र में बांधा था।