- सीता विवाह के अवसर बने कोहबर का होगा चित्रण
ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या। राम घर लौट रहे हैं। अयोध्या में उल्लास का माहौल है। मंदिरों में प्रभु के स्वागत की तैयारियां प्रारंभ हैं। रामलला के अस्थाई मंदिर को विशिष्ट भारतीय कलाओं से सजाने की योजना है ।
राम जन्म भूमि न्यास के महामंत्री चंपत राय ने गणेश जी के चित्र में रंग भरकर तैयारियों का आगाज़ कर दिया है। गर्भगृह को सजाने की जिम्मेदारी अवध विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी आशीष मिश्र को सौंपी गई है।
दीपोत्सव के दिन योगी सरकार ‘अयोध्या सरकार’ का पलक पांवडे बिछाकर इंतजार करती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उस दिन प्रभु सेवक की भूमिका में आ जाते हैं।
राम की पैड़ी पर जलते लाखों दीयों के बीच लेजर लाइट शो और आतिशबाजी हर किसी का मन मोह लेती है। कई देशों की रामलीला का मंचन भी अयोध्या में होता है। दीपावली के बाद एक नवंबर से भरत की तपोस्थली में भरत मिलाप महोत्सव भी धूमधाम से मनाया जाएगा।
राम के वनवास जाने पर अयोध्यावासियों किस भाव से अपने राम का इंतजार करते हैं इसे पंडित विद्यानिवास मिश्र के शब्दों से बेहतर समझा जा सकता है। मोरे राम के भीजे मुकुटवा,लछिमन के पटुकवा।मोरी सीता के भीजै सेनुरवा,त राम घर लौटहिं।’ मेरे राम का मुकुट भीग रहा होगा, मेरे लखन का पटुका यानी दुपट्टा भीग रहा होगा, मेरी सीता की मांग का सिंदूर भीग रहा होगा, मेरे राम घर लौट आते।
राम घर लौट रहे हैं तो रामलला का अस्थाई मंदिर भी विशिष्ट शैली में सजाया जा रहा है। अवधी लोक कला,महाराष्ट्र की वरली, बिहार की मधुबनी, राजस्थान की लघु चित्र कला पर पेंटिंग बनाई जानी है। मधुबनी कला को मिथिला पेंटिंग भी कहा जाता है। इसकी शुरुआत रामायण युग में हुई थी। मां सीता के विवाह के अवसर पर गांव की औरतों ने इसे कोहबर में बनाया था। हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीर, प्राकृतिक नजारे, सूर्य व चंद्रमा, धार्मिक पेड़-पौधे , तुलसी और विवाह के दृश्य देखने को मिलेंगे।
राम की पैड़ी के साथ दीपोत्सव की तैयारी राम जन्मभूमि परिसर में भी आरंभ हो गई है। इसी क्रम में आज राम जन्मभूमि न्यास के राष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय ने भगवान गणेश के चित्र पर पेंटिंग करके शुभारंभ किया।
दीपोत्सव के पहले गर्भगृह को दिव्य और भव्य बनाने की तैयारी की जा रही है। इसका जिम्मा डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी आशीष मिश्रा के कंधे पर है। जन्मभूमि निर्माण के आरंभ से ही परिसर एवं गर्भ गृह को बेहतर बनाने एवं दीपोत्सव के लिए यह जिम्मेदारी आशीष को प्रदान की जाती रही है।
गर्भगृह को सजाने संवारने का काम पहले अवध विश्वविद्यालय ललित कला विभाग के बच्चे करते थे। पूर्व दागी कुलपति प्रोफ़ेसर रविशंकर सिंह पटेल के अड़ियल रवैये से पिछले दो वर्ष से यह परंपरा टूट गई।
आशीष के अनुरोध पर कनौसा कान्वेंट की शिक्षिका डॉक्टर हेमलता शुक्ला, रिटायर्ड ड्राइंग टीचर डॉ राधिका देवी ने यह जिम्मेदारी उठाई। इस बार भी इन्हीं दोनों शिक्षिकाओं के निर्देशन में माही, प्रिया, चन्दन, मानसी, माही मौर्या, प्रिया गुप्ता, चन्दन सिंह, अक्षिता सिंह, मानसी सिंह, अक्कू शुक्ला मनमोहक ढंग से परिसर व गर्भगृह को सजाएंगे।