जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. शिक्षा मंत्रालय ने 2016 में बाबा रामदेव के जिस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था, बाबा ने उसे पास करवा लिया है. किसी को आश्चर्य हो तो होता रहे लेकिन सच यही है कि भारतीय शिक्षा बोर्ड की कमान बाबा रामदेव के पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को सौंप दी गई है.
बाबा रामदेव शिक्षा विभाग को साल 2015 में शिक्षा के स्वदेशीकरण का प्रस्ताव रखा था. बाबा ने वैदिक शिक्षा अनुसन्धान संस्थान हरिद्वार के ज़रिये महर्षि दयानन्द की पुरातन शिक्षा और आधुनिक शिक्षा का मिश्रण कर उसका भारतीयकरण करने के लिए एक स्कूल बोर्ड गठित करने का प्रस्ताव भी दिया था.
बाबा रामदेव के इस प्रस्ताव पर प्रधानमन्त्री कार्यालय में बैठक कर विचार भी किया गया लेकिन शिक्षा मंत्रालय ने एक निजी स्कूल बोर्ड को मान्यता देने के सवाल पर आपत्ति कर दी. इसके बाद 2016 में यह प्रस्ताव खारिज हो गया.
हालांकि शिक्षा मंत्रालय ने वैदिक शिक्षा के लिए अपना स्कूल बोर्ड स्थापित करने की योजना तैयार की. 2019 में इसे लेकर फिर बातचीत हुई और इसे निजी क्षेत्र को सौंपे जाने के मुद्दे पर विमर्श किया गया. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा संचालित विद्या भारती स्कूल और आर्य समाज के स्कूलों को इस निजी क्षेत्र के बोर्ड के अधीन लाने की योजना तैयार की गई. इन पारम्परिक विद्यालयों में करीब दस हज़ार बच्चे वैदिक शिक्षा ले रहे हैं. इन विद्यार्थियों को सीबीएसई जैसे बोर्ड अनुमति नहीं दे रहे हैं. निजी क्षेत्र का बोर्ड बनेगा तो इन्हें मान्यता दिलाना आसान हो जायेगा.
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यह प्रस्ताव पास होने के बाद मार्च 2019 को भारतीय शिक्षा बोर्ड को एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत कराकर हरिद्वार में दफ्तर बना दिया गया है. इसका बैंक एकाउंट भी खोला गया है जिसमें कार्पस फंड और विकास निधि की शक्ल में 71 करोड़ रुपये की राशि भी जमा कराई गई है. इस बोर्ड का अध्यक्ष बाबा रामदेव को बना दिया गया है. बोर्ड अब अपना पाठ्यक्रम तैयार करने में जुटा है.