न्यूज डेस्क
अयोध्या के भगवान रामलला नाबालिग हैं। नाबालिग की संपत्ति को न तो कब्जाया जा सकता और न ही बेचा जा सकता। जब संपत्ति भगवान में निहित होती है तो कोई भी उस संपत्ति को ले नहीं सकता। उस संपत्ति से ईश्वर का हक नहीं छीना जा सकता। ऐसी संपत्ति पर एडवर्स पजेशन का कानून लागू नहीं होगा।
यह बातें भगवान रामलला का केस लडऩे वाले वरिष्ठ वकील सी एस वैधनाथन ने कहीं। वह बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में 9वें दिन रामलला विराजमान की तरफ से हो रही सुनवाई में बहस कर रहे थे।
कोर्ट में वकील वैधनाथन ने कहा, ‘जन्मस्थान अगर देवता है, तो कोई भी उस जमीन पर बाबरी मस्जिद होने के आधार पर दावा पेश नहीं कर सकता। अगर वहां पर मन्दिर था और लोग पूजा करते है तो कोई भी उस जमीन पर अपना दावा नहीं कर सकता, क्योंकि जन्मस्थान खुद में एक देवता है।’
उन्होंने कहा कि अगर यह मान भी लिया जाए कि उस स्थान पर कोई मंदिर नहीं था, कोई देवता नहीं थे, फिर भी लोगों का विश्वास ही बहुत है कि राम जन्मभूमि पर ही भगवान राम का जन्म हुआ था। वहां पर मूर्ति रखना उस स्थान को पवित्रता प्रदान करता है।
वहीं आठवे दिन पुरातत्व विभाग की खुदाई में मिले सबूतों को कोर्ट के समक्ष रखा गया। रामलला विराजमान की ओर से कोर्ट में सबूत पेश किए गए कि मस्जिद से पहले उस जगह पर मंदिर का अस्तित्व था।
रामलला के वकील सी एस वैधनाथन कहा कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से शुरुआत में कहा गया कि जमीन के नीचे कुछ नहीं है, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि जमीन के अंदर जो स्ट्रक्चर मिला है वो इस्लामिक स्ट्रक्चर है।
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