न्यूज डेस्क
अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट 17 नवंबर से पहले अपना फैसला सुना सकता है। जैसे-जैसे ये तारिख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे पुलिस और खुफिया एजेंसियां और ज्यादा सक्रिय होती जा रही हैं। दूसरी ओर बीजेपी, आरएसएस और कई मुस्लिम धर्म गुरु लगातार शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के नेपाल की सीमा से सटे इलाके में सात आतंकवादियों के दाखिल होने की खुफिया जानकारी के बाद में प्रदेश हाईअलर्ट जारी कर दिया गया है। खबरों की माने तो अयोध्या जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आने से कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश में सात आतंकवादियों की घुसपैठ की जानकारी मिली है। इस खुफिया जानकारी ने पुलिस-प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि ये आतंकी अयोध्या में भगवा कपड़े पहन कर घुस सकते हैं, जिससे असली भक्तों के साथ घुलने-मिलने में इन्हें आसानी हो। इस खुफिया सूचना के बाद पुलिस ने होटल, धर्मशाला, बस अड्डे और रेलवे स्टेशनों पर कड़ी चौकसी कर दी है।
होटल मालिकों को आगंतुकों को कमरा देने से पहले पूरी पड़ताल करने को कहा गया है। बता दें कि अयोध्या मामले में सुनवाई पूरी हो गई है और इस केस में अब फैसला आने वाला है।
एक अधिकारी ने कहा, “खुफिया जानकारी के मुताबिक, राज्य में प्रवेश करने वाले सात सदस्यीय आतंकी समूह का संचालन पाकिस्तान से किया जा रहा है, अंदेशा है कि आतंकी अयोध्या, फैजाबाद और गोरखपुर में छुप सकते हैं।”
रिपोर्ट के मुताबिक सात में से पांच आतंकियों की पहचान मोहम्मद याकूब, अबू हमजा, मोहम्मद शाहबाज, निसार अहमद और मोहम्मद क्वामी चौधरी के रूप में की गई है।
इस मामले पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “पाकिस्तानी आतंकी संगठन उत्तर प्रदेश को निशाना बना रहे हैं और इस जानकारी के बाद हम बेहद सतर्क हैं, अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा मंगलवार सुबह शुरू हुई है और बुधवार सुबह को इसका समापन होगा। इस समागम में देशभर से लाखों की तादाद में भक्त आते हैं।”
इस लिहाज से वहां सुरक्षा बेहद कड़ी कर दी गई है. बाहर से आने वाले लोगों की सघन तलाशी ली जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों के जवान सफेद कपड़े में लोगों पर नजर रख रहे हैं। आस-पास के वाहनों की तलाशी ली जा रही है।
वहीं, फैसला आने से पहले फैजाबाद पुलिस ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पर नजर रखने के लिए 16 हजार स्वयंसेवियों को तैनात किया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आशीष तिवारी ने बताया कि राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर जब आदेश आयेगा, उस समय शांति कायम रखने के लिए जिले के 1,600 स्थानों पर भी इतनी ही संख्या में स्वयंसेवियों को रखा गया है।
जिला मजिस्ट्रेट अनुज कुमार झा ने देवी-देवताओं का अपमान करने के खिलाफ या राम जन्मभूमि से संबंधित जुलूस निकालने के वास्ते सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के खिलाफ आदेश जारी किया। उन्होंने फैसले के मद्देनजर शांति का माहौल बिगड़ने की आशंका का उल्लेख करते हुए 28 दिसम्बर तक निषेधाज्ञा आदेशों को बढ़ा दिया।
एसएसपी ने कहा कि वे आतंकी हमलों, सांप्रदायिक दंगों, जन आक्रोश और विवादित स्थल पर किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और सभी खामियों को भी ध्यान में रखा गया है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने लोगों को शांति का माहौल बनाये रखने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते जिले के 1,600 स्थानों पर 16 हजार स्वयंसेवियों की नियुक्ति की है और सोशल मीडिया पर निगरानी रखने के लिए इतनी ही संख्या में डिजिटल वालंटियर तैनात किये है।
प्रशासन ने सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए स्वयंसेवियों के व्हाट्सएप समूह भी बनाये हैं। एसएसपी ने बताया कि चार सुरक्षा क्षेत्र बनाये गये हैं: लाल, पीला, हरा और नीला। लाल और पीला सुरक्षा क्षेत्र केन्द्रीय पैरा सैन्य बल (सीपीएमएफ) द्वारा संचालित किया जायेगा जबकि हरा और नीला सुरक्षा क्षेत्र पुलिस के तहत होगा।
अयोध्या विवाद पर फैसला आने से पहले जहां सरकार और पुलिस प्रशासन हर तरह से तैयार है। वहीं, आरएसएस और कई मुस्लिम धर्म गुरु भी लगातार जनता से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील कर रहे हैं। संघ ने अपील जारी कर कहा है कि फैसला किसी के भी पक्ष में आए, सबको शांति से स्वीकारना चाहिए।
सरसंघचालक मोहन भागवत तक ये अपील तमाम समुदायों से कर चुके हैं. कुछ ऐसी ही मुलाकात दिल्ली में केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के घर हुई। इस बैठक में संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल और अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख रामलाल की मौजूदगी में देशभर से आए 100 से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के धार्मिक, समाजिक और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने हिस्सा लिया। दो घंटे तक चली इस बैठक में एक ही संकल्प लिया गया कि देश की एकता के ताने-बाने को नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाएगा।
इस बैठक मे संघ के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने मुस्लिम समाज के प्रबुद्ध लोगों को एक ही बात का भरोसा दिलाया कि संघ मुस्लिम समुदाय का विरोधी नहीं है। कृष्ण गोपाल ने वहां मौजूद अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से पूछा कि क्या आपने कभी संघ के किसी भी शीर्ष नेता को उनके खिलाफ गलत भाषणा का इस्तेमाल करते सुना है। पूरे आरएसएस का इतिहास गवाह है कि मोहन भागवत हों या फिर पहले के संघ प्रमुख किसी ने भी मुस्लिम विरोधी बात नहीं की है। उन्होंने वहां मौजूद बुद्दिजीवियों को कहा कि वो सभी अपने-अपने राज्यों में जाएं तो वहां के दो शीर्ष संघ के नेताओं से मिलें और बातें करें।
बैठक के बाद शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने कहा कि तय ये हुआ है कि जो फैसला आएगा उसे सबको मानना होगा. मुल्क में शांति बनाए रखना है। दरगाहों और मस्जिदों से शांति बनाए रखने की अपील की जाएगी। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फारुकी ने कहा कि बैठक अच्छी थी और कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा वो सबको मंजूर होगा।
केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अनेकता में एकता के साथ-साथ पीएम मोदी के सबका साथ सबका विकास की बात कर मुस्लिम समाज के प्रबुद्ध लोगों को संदेश दिया कि सरकार अल्पसंख्यक विरोधी नहीं।
बैठक में ऐसे लोगों से सावधान रहने की भी अपील की गई जो अपने स्वार्थों के लिए देश की एकता और सौहार्द को नुकसान पहुंचाने की साजिश में लगे हुए हैं। संदेश साफ था कि अब संघ का सौहार्द का संदेश अब देश के कोने-कोने में पहुंचाने की कवायद तेज हो गई है।
खास कर तब जब राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने वाला है। आरएसएस ने भी अपने तमाम प्रचारकों को आदेश दिया है कि वो अपने-अपने कार्यक्षेत्रों में बने रहें। संघ के शीर्ष नेता खुद फैसले तक दिल्ली में मौजूद रहेंगे।