सुरेंद्र दुबे
राम मंदिर के नाम पर एक बार फिर पूरे देश में आंदोलन चलाने की पटकथा लिखने की तैयारी की जा रही है। राम मंदिर के निर्माण का मार्ग भले ही गत 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशस्त कर दिया है, पर यह बात भाजपा व विश्व हिंदू परिषद के गले नहीं उतर रही है।
भाजपा सरकार जनता को यह याद कराना चाह रही है कि अयोध्या में भगवान राम के जन्म स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए वर्षों आंदोलन चलाया है। लाठी-डंडे खाए हैं, गांवों की धूल फांकी है और अनेक लोग शहीद भी हुए हैं।
विहिप इस बात को लेकर बेहद चिंतित है कि कहीं जनता उनकी कुर्बानियों को भूलकर मंदिर निर्माण का सारा श्रेय सुप्रीम कोर्ट को न दे दे। इसलिए वह मंदिर निर्माण के लिए एक बार फिर अलख जगाना चाहती है ताकि जब मंदिर निर्माण शुरू हो तो एक-एक ईंट लगने के साथ हिंदू मन आंदोलित हो और भाजपा इसका फायदा चुनाव में उठा सके।
विश्व हिंदू परिषद ने इसके लिए 25 मार्च को हिंदू पंचांग (सोलर कैलेंडर) से शुरू होने वाले नए संवत्सर से श्रीरामोत्सव मनाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। भारतीय पंरपरा के अनुसार, नए संवत्सर से ही नए वर्ष की शुरूआत मानी जाती है। एक जनवरी नया वर्ष शुरू होने की परंपरा अंग्रेजी संस्कृति की देन है, जो अब परंपरा बन गई है।
विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने स्वयं इसकी घोषणा की है तथा इसके जरिए दुनियाभर के विशेष रूप से भारत के हिंदुओं के बीच एक बार फिर से मंदिर आंदोलन के नाम पर अयोध्या में हिंदू धर्मावलंबियों का जमावड़ा करने की कोशिश की जाएगी।
वर्ष 1989 में राम मंदिर निर्माण के लिए देश के लगभग साढ़े छह लाख गांवों में से पौने तीन लाख गांव के लोगों से विहिप ने मंदिर निर्माण के लिए एक-एक पूजित शिलाएं व सवा रुपया इकट्ठा किया था। विहिप अब इन गांव वालों को राम के नाम पर फिर झकझोरेगी। साथ ही मंदिर निर्माण में विहिप के योगदान की याद दिलाएगी ताकि लोगों को वोट डालते समय यह याद रहे कि मंदिर निर्माण सुप्रीम कोर्ट नहीं बल्कि विहिप के आंदोलन के कारण हो रहा है।
धार्मिक आयोजन की ब्रॉंडिंग में सिद्धहस्त विश्व हिंदू परिषद नव संवत्सर से नया वर्ष शुरू होने की परंपरा पुन: स्थापित किए जाने पर जोर देगी। यानी कि हम सब को अब एक बार फिर HAPPY NEW YEAR कहने का मौका मिलेगा। अब इसे अंग्रेजी में कहेंगे या हिंदी में ये बाद में पता चलेगा।
अकेले नव वर्ष की शुभकामनाओं से शायद भगवान राम के प्रति कम आस्था जागृत हो इसलिए इस दिन से श्रीरामोत्सव की शुरूआत की जाएगी। इसी दौरान लोगों से अपने घरों मे भगवान राम की मूर्ति स्थापित किए जाने का भी संकल्प कराया जाएगा।
पूरे देश में मंदिरों में शंख व घड़ियाल के साथ जय श्री राम के नारे गूजेंगे। जाहिर है विपक्ष को यह बात पसंद नहीं आएगी तो इसके नाम पर हो हल्ला मचेगा और एक बार फिर भाजपा को विपक्ष पर मंदिर विरोधी होने की फब्ती कसने का मौका मिलेगा।
इसके साथ ही भाजपा को हिंदुत्व, हिंदू राष्ट्र और नागरिकता संशोधन कानून की धार और पैनी करने का भी मौका मिल सकता है। यानी कि नंवबर 2020 में होने वाले बिहार विधान सभा चुनाव के समय तक माहौल काफी भगवा हो चुका होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
ये भी पढे़: नेताओं को आइना दिखा रहे जनरल रावत
ये भी पढे़: भूखे भजन करो गोपाला
ये भी पढे़: कितनी सफल होगी राहुल गांधी को री-लॉन्च करने की कवायद !
ये भी पढे़: आखिर भगवान राम अपनी जमीन का मुकदमा जीत गए