राजेंद्र कुमार
आप या कोई इसे अयोध्या का सौभाग्य कहे या दुर्भाग्य, इस तथ्य से इंकार नहीं कर सकता कि आजादी के बाद से अब तक कम से कम पांच ऐसी तारीखें अयोध्या के हिस्से ऐसी आई हैं, जिन्हें लेकर दावा किया गया कि उसका, और साथ ही देश का, उन तारीखों पहले और बाद का इतिहास अलग-अलग हिस्सों में बंट जायेगा। राजनीतिक हलकों में इन तिथियों को उसके नये इतिहास के निर्माण के प्रस्थान बिन्दु के तौर पर भी देखा गया।
इनमें पहली तारीख है 22-23 दिसम्बर 1949, दूसरी तारीख है एक फरवरी 1986, तीसरी तारीख है 30 अक्टूबर-02 नवम्बर1990, चौथी तीरीख है 06 दिसम्बर 1992 और पांचवीं तारीख है नौ नवम्बर 2019। अब इन तारीखों में चंद घंटे बाद एक नई तारीख जुड़ेगी 05 अगस्त 2020 की। इस छठवीं तारीख को अयोध्या में भव्य श्रीरामजन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाथों भूमि पूजन होगा। इस कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत सहित देश भर से आये साधू-संत मौजूद होंगे।
इस कठिन कोरोनाकाल में 5 अगस्त की तारीख एक धार्मिक विवाद के सदा-सदा के लिए खत्म होने का इतिहास बनायेगी। इस छठी तारीख को लेकर भी कुछ इसी तरह के दावे किये जा रहे हैं। और जो दावे कर रहे हैं, वे पलटकर इतना भी नहीं देखना चाहते कि उक्त पांचों तारीखों में से कोई एक भी अयोध्या को एक पल के लिए भी किसी खास मोड़ पर पकड़कर नहीं बैठा पायी है, न ही उसे अपने समतल की तलाश से विचलित कर पाई है।
इसीलिए अयोध्या के आम लोग अभी भी कहते हैं कि अगर अयोध्या 22-23 दिसम्बर 1949 की तारीख को ही पकड़े बैठी रह जाती तो अपनी बैलगाड़ियों से मोटरगाड़ियों के दौर में आना भी दूभर कर डालती। दरअसल, बहते नीर की तरह समतल की तलाश करते रहना अयोध्या के स्वभाव में है और जो भी उसके आड़े आने की कोशिश करता है, वह उसे बरबस अपने प्रवाह में बहा ले जाती है।
अपने इसी स्वभाव के चलते अयोध्या किसी एक तारीख को अपने ऊपर हावी नहीं होने देती है। सदियों पुरानी राम जन्म भूमि संघर्ष यात्रा को देखे तो इसका अहसास होता है। अयोध्या की संघर्ष यात्रा की प्रमुख तारीखों को क्या हुआ ? यह जाने :-
1 – 22-23 दिसम्बर 1949 पहली प्रमुख तारीख
वर्ष 1949 के जुलाई में प्रदेश सरकार ने विवादित ढांचे के बाहर राम चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की कवायद शुरू की। लेकिन यह भी नाकाम रही। तो 1949 में 22-23 दिसंबर को विवादित ढांचे में राम सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां रख दी गईं।
2 -एक फरवरी 1986 दूसरी तारीख
अदालत की आदेश पर 1 फरवरी को शाम 4:40 बजे अदालत का फैसला आया और 5:20 पर विवादित इमारत का ताला खुल गया। अदालत का फैसला आने के महज 40 मिनट के भीतर फैसले पर महज हो गया हो। इसी के बाद से विश्व हिंदू परिषद ने रामजन्म भूमि मन्दिर के निर्माण का आन्दोलन शुरू कर दिया। संघ और बीजेपी ने आन्दोलन को जनजन तक पहुँचाने में विहिप की मदद की।
3 -तीसरी तारीख है 30 अक्टूबर-02 नवम्बर1990
मुलायम सिंह यादव की सरकार में कारसेवकों ने रामजन्मभूमि मन्दिर की ओर कूच किया। तब मुलायम सिंह ने ऐलान किया था कि अयोध्या में कारसेवकों को आने नही दिया जायेगा। सुरक्षा के इतने तगड़े इंतजाम होंगे कि परिंदा भी वहां पहुंच नही सकेगा। इसके बाद भी लाखों श्रद्धालू वहां पहुंच गए। उन्होंने पुलिस की घेराबंदी तोडकर मन्दिर में जाने का प्रयास किया। पुलिस ने गोली चलती कई लोगों की मौत 30 अक्टूबर को हुई। फिर 2 नवंबर को कोठारी बंधू समेत कई लोगों की मौत हुई। मुलायम सिंह को हिन्दू विरोधी कहा गया। मन्दिर आन्दोलन ने और तेजी पकड़ ली।
4 -चौथी तीरीख है 06 दिसम्बर 1992
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में लाखों कारसेवकों ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। कारसेवक 11 बजकर 50 मिनट पर ढांचे के गुम्बद पर चढ़े। करीब 4.30 बजे ढांचे का तीसरा गुम्बद भी गिर गया। इसके बाद वहां रामचंद्र परमहंस की देख रेख में 24 घंटे की भीतर ही भगवान राम का अस्थायी मंदिर बना दिया गया। इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया, जिसे केंद्र सरकार ने नहीं माना और कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया। विवादित ढांचे को गिरा जाने की वजह से देशभर में हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे हुए।
5 – पांचवीं तारीख है नौ नवम्बर 2019
9 नवम्बर 2019 को शनिवार सुबह साढ़े 10 बजे सुप्रीम कोर्ट ने सदियों पुराने इस विवाद पर अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर पहुंचे।
पांच जजों ने लिफाफे में बंद फैसले की कॉपी पर दस्तखत किए और इसके बाद जस्टिस गोगोई ने फैसला पढ़ना शुरू किया। कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला का हक बताते हुए केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया। ट्रस्ट के पास ही मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी होगी यानी अब राम मंदिर का निर्माण का रास्ता साफ हो गया।
कोर्ट ने विवादित जमीन पर पूरी तरह से रामलला का हक माना है, लेकिन मुस्लिम पक्ष को भी अयोध्या में जमीन देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही किसी उचित जगह मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ जगह दी जाए। फैसले में (भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण) का हवाला देते हुए कहा गया कि बाबरी मस्जिद का निर्माण किसी खाली जगह पर नहीं किया गया था। विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और यह इस्लामिक ढांचा नहीं था।
कोर्ट ने कहा कि पुरातत्व विभाग की खोज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने रिपोर्ट के आधार पर फैसले में यह भी कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की भी पुख्ता जानकारी नहीं है। इससे आगे कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष विवादित जमीन पर दावा साबित करने में नाकाम रहा है। कोर्ट ने 6 दिसंबर 1992 को गिराए गए ढांचे पर कहा कि मस्जिद को गिराना कानून का उल्लंघन था। ये तमाम बातें कहने के बाद कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला का हक बताया। कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े के दावों को खारिज कर दिया।
6 -छठी तारीख है 05 अगस्त 2020
सुप्रीम कोर्ट के 9 नवम्बर 2019 को सुनाये गए फैसले के अनुसार अब 05 अगस्त की दोपहर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या में भव्य श्रीरामजन्म भूमि निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे। इसके तुरंत बाद ही वहां मंदिर के निर्माण कार्य की शुरुआत हो जायेगी।
अयोध्या के रामजन्मभूमि परिसर में समतल की गई भूमि में 05 अगस्त नीव खोदने का कार्य भूमि पूजन कार्यक्रम खत्म होने के कुछ देर बाद शुरू हो जायेगा। और तीन वर्षों में अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो जायेगा हो। इस प्रकार करीब सत्तर साल से चले आ रहे देश के सबसे प्रमुख विवाद के खात्मे की 05 अगस्त 2020 अंतिम तारीख होगी।