न्यूज डेस्क
पिछले करीब 70 साल से देश की अदालतों में चल रहे अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की आखिरी दलील की आज आखिरी दिन है। बुधवार यानी आज सुप्रीम कोर्ट में हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से अपनी-अपनी आखिरी दलील रखी जाएगी, जिसके बाद अयोध्या मामले में फैसले की उम्मीद बढ़ जाएगी।
निर्धारित शेड्यूल के मुताबिक, आज दोनों पक्षकारों की दलीलों के बाद मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर दलील पेश की जाएगी और इस बात की काफी संभावना है कि फैसला भी सुरक्षित कर लिया जाएगा।
दूसरी ओर ऐसी चर्चा हो रही है कि अयोध्या विवाद मामले में सबसे बड़े दावेदारों में से एक सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित जमीन पर मालिकाना हक छोड़ने की अर्जी दाखिल कर सकता है।134 साल पुराने अयोध्या विवाद मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड 58 साल से दावेदार है। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसे रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़े के साथ बराबर की जमीन दी थी।
Chief Justice of India (CJI) Ranjan Gogoi while dismissing intervention application of one of the parties Hindu Maha Sabha in #Ayodhya land case: This matter is going to be over by 5 pm today. Enough is enough. https://t.co/wOxgLGEoWB
— ANI (@ANI) October 16, 2019
इससे पहले CJI रंजन गोगोई ने मामले में एक पक्ष हिंदू माया सभा के हस्तक्षेप के आवेदन को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला आज शाम पांच बजे तक खत्म हो जाएगा। अब बहुत हुआ… मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सुनवाई आज शाम पांच बजे तक पूरी हो।
सुनवाई शुरू होने के बाद रामलला के वकील सीएस वैधनाथन से कहा कि 1855 से परिसर में पूजा होती है। विवादित जमीन पर मुगलों ने जबरन मस्जिद बनवाया था। 16 दिसंबर 1949 से यहां नमाज नहीं पढ़ी गई। 1934 तक जमीन पर नमाज पढ़ी जाती थी। उन्होंने कहा कि बिना मालिकाना हक मस्जिद नहीं बन सकती है।
रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि उन्होंने (मुस्लिम पक्ष) हमपर कब्जा करने की बात कही है, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया। हम जो मांग रहे हैं वह बाबर के द्वारा जो अवैध निर्माण हुआ था उसकी जमीन मांग रहे हैं।
इसपर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वक्फ बोर्ड के जमीन पर हक के दावा पर आप क्या कहेंगे?
इसपर वैद्यनाथन ने कहा कि ये लोग मंदिर के दावे को खारिज कर रहे हैं लेकिन जब वहां पर पहले से ही मंदिर था तो ऐसा कैसे कह सकते हैं?
गौरतलब है कि मामले की सुनवाई कर रही संविधान पीठ के मुताबिक, मुस्लिम पक्षकार को छोड़कर अन्य पक्षकारों को 45-45 मिनट का समय मिलेगा जबकि मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन को एक घंटे में प्रतिपक्ष की दलीलों का जवाब देना होगा।