प्रीति सिंह
पिछले कुछ समय से भाजपा की रडार पर तमिलनाडु है। इस राज्य में अपनी राह आसान करने के लिए भाजपा लगातार कोशिश कर रही है पर अब तक उसे सफलता नहीं मिली है।
राज्य की दो द्रविड़ पार्टियों से मिल रही चुनौती के बाद से भाजपा को एहसास हो गया है कि अकेले दम पर पांव जमाना आसान नहीं है।
भाजपा को फिलहाल यह एहसास हो गया है कि क्षेत्रीय दलों के सहयोग के बिना न तो वह अपने हिंदुत्व के एजेंडे का विस्तार कर पायेगी और न ही अपना जनाधान बढ़ा पायेगी, इसीलिए तमिलनाडु में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पिछले दिनों भाजपा ने अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन किया।
21 नवंबर को चेन्नई पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट संदेश दिया कि तमिलनाडु की सत्ता हासिल करना भाजपा का उद्देश्य है। हालांकि शाह की यह यात्रा इस हकीकत से रूबरू कराती है कि कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियों को अब भी यहां अपने वजूद के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ ही जाना होगा।
शाह की तमिलनाडु की यात्रा सियासी नजरिए से महत्वपूर्ण थी। शाह ने अपनी यात्रा में राज्य में अकेले चुनाव लड़ने की कार्यकर्ताओं की मांग को खारिज किया तो वहीं अपने हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने के लिए ‘वेट्री वेल यात्रा’ में शामिल होकर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया।
अब ये भी जान लेते हें कि ‘वेट्री वेल यात्रा’ क्या है। वेत्रीवेल यात्रा उस रथ यात्रा की तरह ही है जिसे बीजेपी देश के अन्य हिस्सों में समय-समय पर निकालती रही है। भाजपा तमिलनाडु में भी यह प्रयोग अपना रही है। इस यात्रा के तहत बीजेपी तमिलनाडु के अलग-अलग जिलों और क्षेत्रों में अपना जनसंपर्क तेज करेगी।
दरअसल भाजपा ‘वेत्रीवेल यात्रा’ से हिंदुत्व का अपना संदेश प्रसारित करना चाहती है। इसे भगवान मुरुगन (उत्तर में इन्हें कार्तिकेय कहा जाता है) को समर्पित किया गया है। भाजपा तमिलनाडु में भगवान मुरुगन के भरोसे है जैसे उत्तर में राम के भरोसे।
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वेत्रीवेल का अर्थ भगवान मुरुगन से है जो देवी पार्वती के बेटे हैं। भगवान मुरुगन के तमिलनाडु में छह पूजा स्थल हैं जहां बीजेपी अपनी यात्रा निकालेगी। 6 नवंबर से शुरु हुई यह यात्रा 6 दिसंबर को संपन्न होगी। 6 दिसंबर भी भाजपा ने सोच समझ कर चुना है।
6 दिसंबर को बाबरी विध्वंस की 28वीं बरसी है। भाजपा इस दिन को आज तक भुनाती आ रही है। भगवान राम, अयोध्या और राम मंदिर, बाबरी विध्वंस के भरोसे भाजपा केेंद्र की सत्ता में काबिज होने के साथ-साथ राज्यों में भी अपना विस्तार करती जा रही है। चूंकि दक्षिण में भगवान मुरुगन को लोगों के आदर्श हैं तो भाजपा इनकी शरण में चली गई है।
तमिलनाडु में भाजपा भगवान मुरुगन और क्षेत्रीय दलों के सहयोग से पांव पसारने की कोशिश में लग गई है। भाजपा की वेत्रीवेल यात्रा’ को तमिलनाडु सरकार ने अनुमति नहीं दी है बावजूद राज्य के बीजेपी अध्यक्ष इसे इसे जारी रखे हुए हैं। भाजपा इसे भगवान मुरुगन का काम बताकर आगे बढ़ रही है।
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हालांकि, अमित शाह ने एआईएडीएमके की नाराजगी को देखते हुए कार्यकर्ताओं को फिलहाल इस मुद्दे को ज्यादा तूल न देने को कहा और जमीनी स्तर पर पार्टी की मजबूती के लिए पूरा ध्यान देने की बात कही है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को यह सलाह भी दी कि वे धैर्य बनाए रखें और दूर की सोचें। बिहार, उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में भी पार्टी धीरे-धीरे ही आगे बढ़ेगी और अपने पांव मजबूत करेगी।
फिलहाल अब देखना होगा कि भाजपा कार्यकर्ता शाह की बातों को कितना गंभीरता से लेते हैं और वह क्या कदम उठाते हैं।