जुबिली न्यूज़ डेस्क
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर बीते 83 दिनों से किसान डटे हैं। हालांकि, अब गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर किसानों का जमावड़ा धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। बहुत से किसान वापस अपने गांव जा रहे हैं। बीते महीने जहां हजारों किसान प्रदर्शनस्थलों पर मौजूद थे वहीं, अब इसके आधे भी धरना स्थल पर नहीं दिख रहे हैं। हालांकि, इसके पीछे भी एक रणनीति है।
दिल्ली बॉर्डर पर जमे किसान के सामने सर्दी के खत्म होने के बाद गर्मी और चिलचिलाती धूप नई मुसीबत बन रही है। गर्मी से निपटने के लिए गाजीपुर बॉर्डर पर बिजली के पंखे और कूलर की व्यवस्था की जाएगी।
किसानों का कहना है कि अगर यूपी से बिजली नहीं मिलेगी, तो जेनरेटर लाने के लिए भी किसान तैयार हैं। वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि पंखे-कूलर चलाने के लिए बिजली दिल्ली की ले लेंगे। दिल्ली से बिजली देने की मनाही नहीं होगी। दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि दिक्कत होगी, तो जेनरेटर ले आएंगे।
टिकैत ने बताया कि गर्मी से निपटने के सभी इंतजाम किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार से बिजली कनेक्शन मांगी गई है। किसान बिल भर देंगे। धरना स्थल के मंच से किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने फिर कहा कि आंदोलन लंबा चलेगा।
किसानों की संख्या कम होने पर उन्होंने कहा कि लंबे आंदोलन में यह सब होता है। कभी किसानों की संख्या अधिक तो कभी कम होती रहती है। किसान खेती-बाड़ी के काम में भी लगे हुए हैं। जरूरत पड़ने पर किसानों की भीड़ फिर बढ़ जाएगी।
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टिकैत ने यह भी समझाया कि किसान अपनी एकता का परिचय दें। धरने पर जो किसान हैं उनकी खेती-बाड़ी का इंतजाम उसका पड़ोसी या दोस्त संभालेगा। कुछ दिनों बाद आंदोलन में बैठा किसान वापस घर जाएगा और उसका वह दोस्त, जो खेती संभाल रहा था धरने में आएगा। ऐसे में दोनों की जिम्मेदारी समय-समय पर बदलती रहेगी। उन्होंने कहा कि किसानों के बीच यह एकता है उसे और बढ़ाना है।
धरना स्थल पर सोमवार को किसानों की संख्या कम थी। किसानों ने बताया कि शादी का समय है। कई किसान पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारी पूरा करने गांव गए हैं। जल्द ही वे वापस आ जाएंगे।