Friday - 25 October 2024 - 5:24 PM

बजट को लेकर राकेश टिकैत बोले-आत्महत्या की ओर बढ़ेगा किसान, जानें क्यों

जुबिली न्यूज डेस्क

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2023-24 पेश किया। यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट है। बजट 2023 प्रस्तुत करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपना भाषण शुरू किया। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण के दौरान भारत जोड़ो के नारे भी लगे।

हालांकि, वित्त मंत्री ने इस दौरान अपना भाषण जारी रखा। केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और पूर्वोत्तर के विकास पर जोर रहेगा। नीतियों में वंचितों को वरीयता दी जाएगी।

टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव किया गया

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्स स्लैब में बड़े बदलाव का एलान कर दिया है। वित्त मंत्री ने राहत देते हुए एलान किया कि अब 7 लाख रुपए तक की सालाना कमाई तक कोई टैक्स नहीं देना होगा। बता दें पहले यह सीमा पांच लाख रुपये की थी।

कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर इतने करोड़ 

आज के बजट से किसानों को काफी उम्मीदें थीं कि शायद केंद्र सरकार उनकी आर्थिक दशा सुधारने के लिए भी कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं लेकर आए। बीते कई वर्षों में किसानों की आमदनी बढ़ाने को लेकर बजट में लाभकारी योजनाओं को शामिल नहीं किया गया है। एक-दो योजनाएं ही किसानों के हित में नजर आईं लेकिन वे भी महज कागजों तक ही सीमित रहीं। उसका किसानों को पूरा लाभ नहीं मिल पाया। किसानों को इसका भी अनुमान था कि 2024 के चुनाव को देखते हुए ही सही किसानों के हित में सरकार कुछ कदम उठाएगी। लेकिन किसान नेताओं ने किसानों के लिहाज से इस बजट को निराशाजनक बताया।

कृषि त्वरक कोष की स्थापना

वहीं बजट प्रस्तुत करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर ध्यान देते हुए कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 20 लाख करोड़ रुपये किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कृषि से जुड़े स्टार्ट अप में युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि युवा उद्यमियों द्वारा कृषि-स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने के लिए ‘कृषि त्वरक कोष’ की स्थापना की जाएगी।

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आत्महत्या की ओर बढ़ेंगे किसान: राकेश टिकैत

भाकियू प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने कहा कि बजट निराशाजनक है। किसानों को कर्ज देने की बात हो रही है जबकि किसानों को राहत दी जानी चाहिए थी। आने वाले समय में लैंड बैंक बनेंगे। किसानों की भूमि पर कब्जा कर लिया जाएगा। कर्ज के बोझ तले दबे  किसान आत्महत्या जैसे आत्मघाती कदम की ओर बढ़ेंगे।

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