Wednesday - 30 October 2024 - 5:43 AM

‘सपा को हराने के लिए किसी भी पार्टी को समर्थन’

जुबिली न्यूज़ डेस्क

भले ही विधानसभ चुनाव उत्‍तर प्रदेश के पड़ोसी राज्‍य बिहार में हो रहा है लेकिन राज्‍य में भी सियासी पारा बड़ा हुआ। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले शह मात का खेल शुरू हो गया है।

राज्‍यसभा चुनाव के बीच उत्तर प्रदेश की सियासत नया मोड़ लेती दिख रही है। राज्यसभा चुनाव में हुई उठापटक और सियासी दांवपेंच के बाद बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी पर हल्ला बोला है। मायावती ने कहा कि मुलायम सिंह यादव के बाद अखिलेश की भी बुरी गति होगी। उन्‍होंने कहा कि एमएलसी के चुनाव में बसपा जैसे को तैसा का जवाब देने के लिए पूरी ताकत लगा देगी। बीजेपी को वोट देना पड़ेगा तो भी देंगे।

उन्होंने समाजवादी पार्टी को हराने के लिए किसी भी पार्टी को सपॉर्ट करने की बात कही। मायावती ने सपा के संपर्क में आए 7 विधायकों को निलंबित कर दिया है।

बसपा ने विधायक असलम राइनी ( भिनगा-श्रावस्ती), असलम अली (ढोलाना-हापुड़), मुजतबा सिद्दीकी (प्रतापपुर-इलाहाबाद), हाकिम लाल बिंद (हांडिया- प्रयागराज) , हरगोविंद भार्गव (सिधौली-सीतापुर), सुषमा पटेल( मुंगरा बादशाहपुर) और वंदना सिंह -( सगड़ी-आजमगढ़) को पार्टी से निलंबित कर दिया है। मायावती ने कहा है कि इन विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की कार्रवाई की जाएगी यदि वे सपा में शामिल होते हैं।

मायावती ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ताकतों से मुकाबला करने के लिए हमारी पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ हाथ मिलाया था। लेकिन उनके परिवार में चल रही आंतरिक कलह की वजह से उन्हें बसपा के साथ गठबंधन का अधिक फायदा नहीं मिल सका। चुनाव के बाद उनकी तरफ से प्रतिक्रिया मिलनी बंद हो गई, जिस वजह से हमने रास्ते अलग करने का फैसला लिया।’

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बसपा सुप्रीमो ने कहा, ‘मैं यह खुलासा करना चाहती हूं कि जब हमने लोकसभा चुनाव साथ लड़ने का फैसला किया था, तब पहले दिन से ही हमने कड़ी मेहनत की। लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष पहले दिन से ही सतीश चंद्र मिश्रा से कहते रहे कि अब जबकि सपा-बसपा ने हाथ मिला लिया है, तो मुझे जून 1995 के केस को वापस ले लेना चाहिए।’

उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार की बजाय सपा मुखिया मुकदमा वापसी कराने में लगे थे। 2003 में मुलायम ने बसपा तोड़ी उनकी बुरी गति हुई, अब अखिलेश ने यह काम किया है, उनकी बुरी गति होगी।

राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी के विधायकों में हुई सेंधमारी पर मायावती ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद जब हमने समाजवादी पार्टी के व्यवहार को देखा, तभी समझ में आ गया कि हमने 2 जून 1995 के केस को वापस लेकर बड़ी गलती कर दी है। हमें उनके साथ हाथ नहीं मिलाना चाहिए था और इस संबंध में गहराई से सोचना चाहिए था।’

उन्होंने कहा, ‘हमने फैसला कर लिया है कि यूपी में आगामी एमएलसी चुनाव में सपा के प्रत्याशी को हराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाएंगे। अगर हमें बीजेपी प्रत्याशी या फिर किसी दूसरी पार्टी के कैंडिडेट को वोट देना होगा तो वो भी करेंगे।’ मायावती ने कहा कि 1995 के गेस्ट हाउस कांड का मुकदमा वापस लेना गलती थी।

Brahmins feeling humiliated by BJP: BSP's Satish Chandra Mishra - The Economic Times

इससे पहले बीएसपी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि खरीद फरोख्त समाजवादी पार्टी की पुरानी प्रथा है। विधायकों के खिलाफ ऐक्शन पर पार्टी फैसला करेगी। विधायकों ने किसके दबाव में गलत बयान दिया यह उन्हें ही बताना चाहिए।

राज्यसभा की 10 सीटों पर हो रहे चुनाव में बुधवार को दिनभर चली उठा-पटक के बीच सपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज का पर्चा खारिज हो गया। बसपा प्रत्याशी रामजी गौतम के प्रस्तावकों में ही सेंधमारी कर उनका पर्चा खारिज करवाने की सपा की रणनीति पर अंतत:  बसपा भारी पड़ गई।

इस बीच बसपा के सात विधायक सपा के संपर्क में हैं। विरोध का बिगुल फूंक चुके एक विधायक के मुताबिक सात विधायकों के अलावा कुछ और विधायक भी सपा के संपर्क में हैं। इसमें से पांच विधायकों ने तो प्रस्तावक के तौर पर अपने साइन होने से ही इनकार कर दिया। हालांकि बाद में उनका दावा गलत पाया गया।

 

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