न्यूज़ डेस्क।
तीन तलाक पर नरेंद्र मोदी सरकार को बड़ी जीत मिली है। आखिरकार तीन तलान बिल मंगलवार को राज्यसभा से पास हो गया। यह विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है। बिल के पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े। राज्यसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस ने जहां इसके औचित्य पर सवाल उठाए, वहीं सरकार ने जोर देकर कहा कि यह महिलाओं की गरिमा, सम्मान व लैंगिक समानता से जुड़ा है।
अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। तीन तलाक देने के दोषी पुरुष को 3 साल की सजा सुनाई जाएगी। पीड़ित महिलाएं अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारे-भत्ते की मांग कर सकेंगी।
बता दें कि राज्यसभा में वोटिंग के दौरान कई विपक्षी दल वोटिंग के समय सदन में मौजूद नहीं रहे। TDP और TRS के सदस्य मौजूद नहीं रहे। वहीं JDU और BSP ने सदन से वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने बताया कि, विपक्षी दलों ने उनके समर्थन में वोट देने की बात कही थी लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने वोटिंग में शामिल न होने वाले दलों पर बीजेपी के समर्थन का आरोप लगाया है।
केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 राज्यसभा में दोपहर करीब 12 बजे पेश किया। इस पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं को सड़क पर नहीं छोड़ सकते। मैं मुस्लिम महिलाओं को रोते हुए नहीं छोड़ूंगा। कानून के बिना FIR दर्ज नहीं हो सकती। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी तीन तलाक जारी। विपक्ष तीन तलाक को जारी रखना चाहता है।’
गौरतलब है कि अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-बिद्दत यानी एक बार में तीन तलाक को असंवैधानिक और गैर-कानूनी करार दिया था। इसके बाद 2 साल में यह बिल 2 बार लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में अटक गया। आम चुनाव के बाद तीसरी बार यह विधेयक 25 जुलाई को लोकसभा से पारित हुआ। 5 दिन बाद ही यह राज्यसभा से भी पास हो गया।
बिल में 3 साल की सजा के प्रावधान का कांग्रेस ने विरोध किया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 3 साल की सजा का प्रावधान ठीक उसी तरह है, जैसे किसी को अपमानित करने या धमकाने के जुर्म में जेल भेज दिया जाए। इसलिए हम इस बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजना चाहते थे।
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