जुबिली न्यूज डेस्क
राज्यसभा की 18 सीटों के लिए आज कई राज्यों में चुनाव हो रहा है। कई राज्यों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच जोरदार टक्कर है, लेकिन राजनीतिक जानकारों की माने तो इस चुनाव के बाद उच्च सदन में बीजेपी की संख्या बल में इजाफा होगा, मगर बहुमत हासिल करने के लिए उसे अभी और इंतजार करना पड़ सकता है। हां, अगर कुछ बहुत अप्रत्याशित नहीं हुआ तो।
इस साल राज्यसभा की 73 सीटों के लिए चुनाव प्रस्तावित था। इसमें से 18 राज्यों से राज्यसभा की 55 सीटों के लिए बीती 26 मार्च को चुनाव होने थे, लेकिन मतदान से ठीक दो दिन पहले चुनाव आयोग ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए चुनाव टाल दिया था।
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हालांकि राज्यसभा की 55 में से 37 सीटों का चुनाव निर्विरोध हो चुका था और राष्ट्रपति के मनोनयन कोटे की खाली हुई एक सीट भी सेवानिवृत्त प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के मनोनयन से भरी जा चुकी थी। इस बीच, कर्नाटक की रिक्त हुई चार सीटों के लिए भी निर्विरोध सांसद चुन लिए गए थे।
चुनाव आयोग ने कोरोना संक्रमण की वजह से जिन 18 सीटों का चुनाव टाला था, उन सभी सीटों के लिए आज मतदान हो रहा है। जिन राज्यों में चुनाव हो रहा है उनमें गुजरात और आंध्र प्रदेश की 4-4, मध्य प्रदेश और राजस्थान की 3-3, झारखंड की 2 तथा मणिपुर और मेघालय की 1-1 सीटें हैं।
अगर इन चुनावों में क्रॉस वोटिंग नहीं हुई तो राज्यों में पार्टियों की ताकत के हिसाब से 18 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी को 8, कांग्रेस को 4, वाईएसआर कांग्रेस को 4, झारखंड मुक्ति मोर्चा को 1 सीट मिलना तय है।
दो दिन पहले तक यह तय था कि मणिपुर की एक सीट भी भाजपा को मिलेगी, लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से 6 विधायकों के समर्थन वापस लेने से समीकरण बदल गए हैं। अब वहां न सिर्फ सरकार को लेकर बल्कि राज्यसभा की एक सीट के चुनाव को लेकर भी अनिश्चितता की स्थिति बन गई है।
245 सदस्यों वाले उच्च सदन में बहुमत का आंकड़ा 123 होता है। इस समय सदन में बीजेपी के 75 सदस्य हैं। आज हो रहे चुनाव में उसे कम से कम 8 सीट मिलने की उम्मीद है। इन दोनों आंकड़ों को मिलाकर उच्च सदन में बीजेपी के कुल 83 सदस्य हो जाएंगे। इन आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी अभी भी बहुमत से काफी दूर है।
नवंबर में भी होगा 11 सीटों के लिए चुनाव
आज हो रहे राज्यसभा चुनाव के बाद 11 सीटों के लिए इसी साल नवंबर में चुनाव होना है। इन 11 में अकेले उत्तर प्रदेश की 9 सीटें होंगी तथा उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश की 1-1 सीट पर चुनाव होगा।
राज्य के आंकड़ों के हिसाब से इन 11 में से 10 सीटें भाजपा को मिलेंगी, जबकि 1 सीट समाजवादी पार्टी को। भाजपा को जो 10 सीटें मिलेंगी उनमें से 5 सीटें तो उसकी अपनी पुरानी होंगी और 5 सीटों का उसके संख्याबल में इजाफा होगा।
इस तरह इस साल के अंत तक इस उच्च सदन में भाजपा की कुल 88 सीटें होने की संभावना है।
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इन आंकड़ों तक पहुंचने के लिए बीजेपी को करनी पड़ी काफी मशक्कत
भारतीय जनता पार्टी को इस स्थिति में पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी है। पिछले एक पखवारे से मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में रिसार्ट राजनीति और हार्स ट्रेंडिंग की खबरें आई। गुजरात और मध्य प्रदेश में तो बडे पैमाने पर विपक्षी विधायकों का इस्तीफ़ा हुआ, जिसके लिए उस विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप भी लगा। विपक्षी विधायकों के इस्तीफे से उसे दोनों ही राज्यों में बीजेपी को एक-एक सीट का फायदा होता दिख रहा है।
राजस्थान में भी कांग्रेस के विधायकों में तोडफ़ोड़ की कोशिशें हुईं थीं लेकिन वे अंजाम तक नहीं पहुंच सकीं। अन्यथा वहां भी बीजेपी को न सिर्फ राज्यसभा की एक अतिरिक्त सीट मिलती बल्कि वहां मध्य प्रदेश की तरह कांग्रेस सरकार के गिरने की नौबत भी आ जाती।
बहरहाल, इस सारी रणनीति पर अमल के बावजूद राज्यसभा में बहुमत के आंकडे से न सिर्फ भाजपा अकेली पार्टी के तौर पर दूर रहेगी, बल्कि 23 सीटों के साथ उसके सहयोगी दलों के संख्या बल के सहारे भी उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए का बहुमत भी नहीं बन पाएगा।
अलबत्ता इसके बावजूद उसे कोई विधेयक पारित कराने में कोई कठिनाई पेश नहीं आएगी, क्योंकि बीजू जनता दल और तेलंगाना राष्ट्र समिति जैसी क्षेत्रीय पार्टियां हमेशा ही उसकी मदद करती रही हैं, इस समय भी दोनों पार्टियों की सदस्य संख्या क्रमश: 9 और 7 है।