जुबिली न्यूज़ डेस्क
लखनऊ. उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटें इसी 25 नवम्बर को रिक्त हो रही हैं. इन सीटों पर नये सदस्यों के चयन के लिए 9 नवम्बर को मतदान होगा. सीटों के गणित के हिसाब से बीजेपी 8 सीटों पर और समाजवादी पार्टी एक सीट पर आराम से जीत जायेगी. दसवीं सीट पर ही संग्राम होना है. कोई भी पार्टी अकेले दम पर यह सीट नहीं जीत सकती. यही वजह है कि बीजेपी इस चुनाव में अपने 9 उम्मीदवार उतारेगी और एक अतिरिक्त सीट के लिए वोट जुटाने की कोशिश करेगी.
निर्वाचन आयोग ने राज्यसभा की रिक्त हो रही दस सीटों के लिए 27 अक्टूबर को नामांकन और 9 नवम्बर को मतदान का एलान किया है. 11 नवम्बर को नए राज्यसभा सदस्यों के नाम घोषित कर दिए जायेंगे.
मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश विधानसभा में 396 विधायक हैं. एक राज्यसभा सदस्य चुनने के लिए 37 विधायकों के वोट की ज़रुरत होती है. बीजेपी के पास 304 विधायक हैं. अपने विधायकों के भरोसे बीजेपी 8 सीटें जीत जाने में सक्षम है. 8 वोट उसके पास फिर भी बचे रहेंगे. समाजवादी पार्टी के पास 48 विधायक हैं. एक सीट वह जिता लेगी. इसके बाद भी उसके पास 11 विधायक बचेंगे.
बीएसपी के पास 18, अपना दल (सोनेलाल) के पास 9, कांग्रेस के पास 7, सुभाएसपी के पास 4, रालोद के पास एक, निर्बल इन्डियन शोषित हमारा आम दल के पास एक और 4 विधायक निर्दलीय हैं. ज़ाहिर है कि इनमें से कोई भी अपना राज्यसभा सदस्य नहीं जिता पायेगा. ऐसे में बीजेपी अपने 8 विधायकों के साथ अन्य दलों के 29 विधायकों से जोड़तोड़ करेगी ताकि उसका एक और सदस्य राज्यसभा पहुँच जाए.
समाजवादी पार्टी अपने राज्यसभा सदस्य राम गोपाल यादव को फिर से राज्यसभा बहुत आसानी से भेज देगी. इसके बाद भी उसके पास 11 विधायकों के वोट बाकी रहेंगे. सूत्र बताते हैं कि मायावती सिर्फ 18 विधायकों के बावजूद अपना उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी कर रही हैं.
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अगर मायावती और अखिलेश यादव के साथ डीलिंग हो जाती है तो 29 विधायकों का गणित पूरा हो जायेगा. ऐसे में निर्दलीयों के तीन वोट जुटाकर 32 विधायक हो जायेंगे. 32 विधायक एकजुट हो गए तो बाकि के 5 वोटों के लिए रालोद और सुभाएसपी को अपने साथ मिलाना आसान हो जायेगा. मायावती को यह गठबंधन संभव दिख रहा है क्योंकि बीजेपी को परस्त करने के लिए ऐसा हो भी सकता है.