न्यूज डेस्क
राज्यसभा की अप्रैल में रिक्त हो रही 55 सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होगा। चुनाव आयोग ने मंगलवार को यह घोषणा की। आयोग ने कहा कि राज्यसभा में 17 राज्यों की ये सीटें अप्रैल में रिक्त हो रही हैं।
दूसरी ओर मध्य प्रदेश में आगामी अप्रैल माह में रिक्त हो रहीं तीन राज्यसभा सीटों में से दो कांग्रेस के खाते में आने की संभावना देख पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में प्रत्याशी चयन की चर्चा शुरू हो गई है। दो में से एक सीट को मध्य प्रदेश के किसी नेता से भरे जाने पर मोटे तौर पर एकराय हो चुकी है, लेकिन दूसरी पर बाहरी प्रत्याशी लाए जाने की सुगबुगाहट है। बाहरी प्रत्याशी के रूप में पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से किसी बड़े नेता को लाया जा सकता है। वहां दो साल बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसके मद्देनजर ऐसा किया जा सकता है।
सूत्र बताते हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इस दौड़ में आगे हैं, लेकिन पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह सहित आधा दर्जन से ज्यादा अन्य नेताओं ने राज्यसभा के टिकट की इच्छा जताई है। यह माना जा रहा है कि दो सीटों में से एक ही सीट मध्य प्रदेश के किसी पार्टी नेता को दी जाएगी।
दूसरा टिकट उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों को देखते हुए वहां के किसी नेता को देने की चर्चा है। हालांकि, अभी यह प्रारंभिक दौर की चर्चा है और विधानसभा के बजट सत्र के दौरान इस पर मुहर लगने की संभावना है।
सूत्र बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के जिन नेताओं में से किसी को मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजा सकता है, उनमें आरपीएन सिंह, जितिन प्रसाद व प्रमोद तिवारी में से कोई हो सकता है। आरपीएन सिंह को झारखंड विधानसभा चुनाव में पार्टी के अच्छे प्रदर्शन का प्रतिफल दिया जा सकता है, जबकि जतिन प्रसाद और प्रमोद तिवारी उत्तर प्रदेश के प्रभावी नेताओं में शामिल हैं।
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजे जाने वाले प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का नाम भी उछाला गया था, लेकिन उनका नाम छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे राज्यों से भी चर्चा में आया है।
राज्यसभा में मध्य प्रदेश कोटे की तीन सीटें नौ अप्रैल को रिक्त होंगी। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण जटिया की सीटें हैं। प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के 114 विधायक हैं तथा बसपा-सपा व निर्दलीय विधायक भी कांग्रेस के साथ हैं।
इससे कांग्रेस के खाते में राज्यसभा की दो सीटें आने की पूरी उम्मीद है। तीन प्रत्याशियों में से प्रत्येक को जीत के लिए 58 विधायकों के मत चाहिए और भाजपा को इस लिहाज से एक सीट का नुकसान हो सकता है।