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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को जम्मू कश्मीर जनसंवाद रैली को वर्चुअल रैली के माध्यम से सम्बोधित किया। इस दौरान उन्होंने एक बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि, 1976 में आपातकाल के दौरान जब संविधान के 42 वें संशोधन के माध्यम से सेक्युलर शब्द जोड़ा गया तो जम्मू-कश्मीर की विधानसभा ने यह शब्द J&K के संविधान में जुड़ने नहीं दिया। अब 370 समाप्त हो जाने के बाद जम्मू-कश्मीर सही मायनों में सेक्युलर हो गया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर के शहीदों को याद कर श्रद्धांजलि देते हुए अपनें भाषण की शुरुवात की। भाषण के दौरान राजनाथ ने ज्यादातर समय धारा 370 और 35 A पर ही बात की।
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कश्मीर घाटी में पहली बार तिरंगा फहराने वाले मक़बूल शेरवानी से लेकर हाल में जान गंवाने वाले अजय पंडिता तक सभी को श्रद्धांजलि देते हुए उन्होंने कहा कि, हमारे प्रधानमंत्री जी ने जनमन और जनमत का सम्मान करते हुए 100 दिनों के भीतर ही धारा 370 और 35A को समाप्त कर दिया।
इतना ही नहीं पुराने जम्मू और कश्मीर राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांट कर बरसों से पल रही जन आकांक्षाओं का भी सम्मान किया है। रक्षामंत्री ने कहा की कैसी विडम्बना थी कि पहले कश्मीर में आज़ादी को लेकर जब कोई आंदोलन होता था तो कश्मीर का झंडा नहीं दिखता था बल्कि पाकिस्तान और ISIS का झंडा दिखाई देता था। धारा ३७० समाप्त होने के बाद केवल ‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा’ दिखता है।
विपक्ष की अहमियत समझते हैं
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि, लोकतांत्रिक व्यवस्था में हम विपक्ष की अहमियत समझते हैं। हम उनका सम्मान करते हैं। हमारी सरकार किसी को अंधेरे में नहीं रखेगी। उचित समय पर जानकारी दी जाएगी। मैं भरोसा देता हूँ कि हम किसी भी सूरत में भारत के राष्ट्रीय स्वाभिमान से समझौता नहीं करेंगे।
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