जुबिली न्यूज डेस्क
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को आरएसएस विचारक वीडी सावरकर को देश का पहला रक्षा विशेषज्ञ बताया। उन्होंने कहा कि वीडी सावरकर ने भारत को “मजबूत रक्षा और राजनयिक सिद्धांत” के साथ प्रस्तुत किया।
राजनाथ ने सावरकर को 20वीं शताब्दी में भारत के सबसे बड़े और पहले रक्षा और रणनीतिक मामलों का विशेषज्ञ बताया।
दिल्ली में वीडी सावरकर पर एक किताब के विमोचन के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि मार्क्सवादी और लेनिनवादी विचारधाराओं का पालन करने वाले लोगों ने सावरकर पर फासीवादी और हिंदुत्व के समर्थक होने का आरोप लगाया।
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रक्षा मंत्री ने कहा, ‘उन्होंने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि अन्य देशों के साथ भारत के संबंध इस बात पर निर्भर होने चाहिए कि वे हमारी सुरक्षा और राष्ट्रीय हितों के लिए कितने अनुकूल हैं। वह स्पष्ट थे कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दूसरे देश में किस तरह की सरकार थी। कोई भी देश तब तक दोस्त रहेगा जब तक यह हमारे हितों के अनुकूल रहेगा।”
राजनाथ सिंह ने कहा कि सावरकर को बदनाम करने के लिए एक अभियान चलाया गया था। वह एक स्वतंत्रता सेनानी थे और इसके बारे में कोई दो राय नहीं है। उसे अन्यथा चित्रित करना क्षम्य नहीं है।
राजनाथ सिंह ने अंग्रेजों के समक्ष दया याचिका के बारे में एक खास वर्ग के लोगों के बयानों को गलत ठहराते हुए यह दावा किया कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने अंग्रेजों के समक्ष दया याचिका दी थी। उन्होंने कहा कि सावरकर के बारे में झूठ फैलाया गया।
राजनाथ सिंह ने सावरकर को शेर बताते हुए कहा कि जब तक शेर अपनी कहानी खुद नहीं कहता, तब तक शिकारी महान बना रहता है। उन्होंने कहा कि देश सावरकर के महान व्यक्तित्व व देश भक्ति से लंबे समय तक अपरचित रहा।
राजनाथ सिंह उदय माहूरकर और चिरायु पंडित द्वारा लिखित पुस्तक वीर सावरकर- द मैन हू कैन्ड प्रिवेंटेड पार्टिशन के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे।
इस अवसर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जिन लोगों ने सावरकर के बहुआयामी व्यक्तित्व को नहीं समझा, उन्होंने उन्हें बदनाम किया। उन्होंने कहा कि सावरकर की विचारधारा अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं के बावजूद एक साथ चलने और एक स्वर में बोलने में सक्षम होने के विचार के अनुरूप थी।
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उन्होंने सावरकर को बदनाम करने वालों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कुछ लोग उन पर नाजीवीदी व फांसीवादी होने का आरोप लगाते हैं। यह वह लोग हैं जो माक्र्सवादी व लेनिनवादी हैं। सावरकर हिंदुत्व को मानते थे, लेकिन वह हिंदूवादी नहीं, राष्ट्रवादी यथार्थवादी थे। उनके लिए देश राजनीतिक इकाई नहीं, सांस्कृतिक इकाई था। वीर सावरकर 20 वीं सदी के सबसे बड़े सैनिक व कूटनीतिज्ञ थे। सावरकर व्यक्ति नहीं विचार थे जो हमेशा रहेगा।