Wednesday - 30 October 2024 - 2:21 AM

वो हादसा जिसने राजीव गांधी को बना दिया प्रधानमंत्री

न्‍यूज डेस्‍क

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 75वीं जयंती पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। राजीव गांधी के समाधिस्थल वीरभूमि पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई नेताओं ने उन्हें नमन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्विटर पर राजीव गांधी को श्रद्धांजलि दी।

20 अगस्त 1944 को जन्में राजीव गांधी देश के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने थे। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, जब अचानक उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी मिली तो उनकी उम्र महज 40 साल थी। पायलट की ट्रेनिंग ले चुके राजीव गांधी राजनीति में आने को इच्छुक नहीं थे, लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें देश का सबसे कम उम्र का प्रधानमंत्री बना दिया।

राजीव गांधी ने देहरादून के प्रतिष्ठित दून स्कूल से पढ़ाई की थी। इसके बाद उन्होंने लंदन के इंपीरियल कॉलेज में एडमिशन लिया और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग का कोर्स किया।

इंडियन एयरलाइंस में बतौर पायलट काम किया

भारत लौटने के बाद उन्होंने कमर्शियल पायलट का लाइसेंस हासिल किया और इंडियन एयरलाइंस में बतौर पायलट काम करने लगे। राजीव गांधी को भारत में इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और कम्युनिकेशन क्रांति का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने इकनॉमी के उदारीकरण और सरकारी नौकरशाही में सुधार लाने के लिए कई कदम उठाए। साल 1965 में राजीव गांधी की मुलाकात इटली में सोनिया गांधी से हुई और बाद में दोनों ने शादी कर ली।

राजनीति में कैसे आए 

राजीव गांधी कभी राजनीति में न आते, अगर उनके छोटे भाई संजय गांधी का विमान दुर्घटना में निधन न हुआ होता. 23 जून 1980 को जब संजय गांधी का प्लेन क्रैश हुआ तो उसके बाद राजीव गांधी की जिंदगी बदल गई और वे राजनीति में उतर गए। जून 1981 में अमेठी लोकसभा उपचुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई। उन्हें 258,884 वोट मिले थे। इस सीट पर संजय गांधी की मृत्यु के बाद उपचुनाव हुए थे। इसी महीने वे युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के मेंबर भी बन गए।

31 अक्टूबर 1984. ये वो दिन था, जब भारतीय राजनीति में वो हुआ, जो शायद किसी ने सोचा नहीं होगा। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद इंदिरा गांधी के दो सिख बॉडीगार्ड्स ने उनकी हत्या कर दी। जब यह हादसा हुआ, जब राजीव गांधी कोलकाता में थे। उनकी मां की हत्या के कुछ ही घंटों बाद सरदार बूटा सिह और तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने उनसे प्रधानमंत्री बनने को कहा।

पद संभालने के बाद उन्होंने राष्ट्रपति से संसद भंग कर दोबारा चुनाव कराने को कहा। राजीव गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने और चुनावों में कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत हासिल की। तब कांग्रेस को 414 सीटें मिली थीं। 40 साल की उम्र में 31 दिसंबर 1984 को राजीव गांधी भारत के सबसे युवा पीएम बने।

इसके बाद एक कार्यक्रम में राजीव गांधी जब 1987 में श्रीलंका गए थे, तब श्रीलंकाई नेवी के एक जवान ने राइफल की बट से उन पर हमला किया था। यह वो वक्त था, जब श्रीलंका में शांति सेना भेजे जाने के बाद राजीव इस पड़ोसी देश के दौरे पर गए थे। जब वह गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण कर रहे थे, तब एक जवान रोहाना विजेमुनी ने उन पर हमला कर दिया। हालांकि इसमें उन्हें कोई चोट नहीं आई थी।

प्रधानमंत्री रहते हुए श्रीलंका में शांति सेना भेजे जाने को लेकर आतंकी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) राजीव गांधी का दुश्मन बन गया। तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली के दौरान 21 मई 1991 को उन्हें बम से उड़ा दिया गया। आत्मघाती हमलावर को खुद उन्होंने अपने पास आने की इजाजत दी थी।

 

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