लखनऊ. भारत रत्न पूर्व प्रधानमन्त्री स्वर्गीय गांधी की 30 वीं पुण्यतिथि पर अल्पसंख्यक कांग्रेस ने ‘आधुनिक भारत के निर्माण में राजीव गांधी की भूमिका’ पर वेबीनार आयोजित किया.
मुख्य अतिथि के बतौर संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मन्त्री मणिशंकर अय्यर ने कहा कि राजीव जी लोकतंत्र में आम आदमी की निर्णायक भागीदारी को मजबूत करने में यक़ीन रखते थे.
पंचायती राज का उनका सपना इसकी मिसाल है. राजीव गांधी धर्म निरपेक्षता और समाजवाद के संवैधानिक मूल्यों को जीने वाले राजनेता थे.
असम, पंजाब और मिजोरम की समस्याओं को उन्होंने जिस साहस और सूझबूझ से हल किया वैसा दूसरा उदाहरण नहीं मिलता. उनके लिए देश हित पार्टी हित से बड़ा था.
मणिशंकर अय्यर ने कहा कि 2001 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि शाह बानो मामले में राजीव गांधी सही थे. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी धर्म निरपेक्षता जैसे मूल्यों को कभी भी चुनावी नफा नुकसान के नज़रिए से नहीं देखते थे.
पूर्व पेट्रोलीयम और पंचायती राज मन्त्री ने कहा कि 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने बोफोर्स मामले में राजीव गांधी जी पर लगे आरोपों को खारिज कर दिया था. लेकिन एक साजिश के तहत मीडिया का एक हिस्सा शाहबानो और बोफोर्स पर राजीव गांधी जी के खिलाफ़ अभियान चलाता रहा है. उन्होंने कहा कि राजीव जी हमेशा फिलिस्तीन के मसले पर मजबूती से उसके साथ खड़े रहते थे.
पूर्व अफ़सरशाह, पूर्व सूचना आयुक्त और ‘माई इयर्स विथ राजीव’ पुस्तक के लेखक वजाहत हबीबुल्लाह ने कहा कि राजीव गांधी बुनियादी तौर पर ज़्यादा से ज़्यादा विचारों को सुनने और हर निर्णय में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से राय लेने में यक़ीन रखते थे. उनकी आंखें हमेशा बेहतर लोगों की तलाश में रहती थीं. सैम पिट्रोदा इसकी सबसे अच्छी नज़ीर हैं.
हबीबुल्लाह ने कहा कि पंचायती राज और नवोदय विद्यालय का विचार उन्हें ऐसे ही बहसों से मिला था. राजीव जी अक्सर लोगों को बोलने के लिए उकसाते थे ताकि कोई नया विचार आए.
अपनी पुस्तक के हवाले से हबीबुल्लाह ने कहा कि बाबरी मस्जिद ताला प्रकरण में उन्हें अंधेरे में रखा गया जो उन्हें बदनाम करने और कांग्रेस को नुक्सान पहुंचाने के उदेश्य से किया गया षदयंत्र था जिसमें पार्टी के अंदर और बाहर के लोग शामिल थे.
श्री हबीबुल्लाह ने कहा कि राजीव जी भारत की वैश्विक भूमिका को लेकर भी प्रयासरत रहते थे. जिसके तहत उन्होंने न्यूक्लीयर निषस्त्रीकरण के लिए दुनिया के कई देशों को तय्यार किया और संयुक्त राष्ट्र में इसके खिलाफ़ भाषण दिया. उन्होंने कहा कि शिक्षा को ले कर वो इतना गंभीर रहते थे कि एक तरफ बच्चों के लिए नवोदय विद्यालय लाये तो दूसरी तरफ उम्र दराज़ लोगों के लिए प्रौढ़ शिक्षा का अभियान चलाया.
वेबीनार को प्रोफारेशनल कांग्रेस के अनीस अंसारी, राजीव गांधी स्टडी सरकिल के प्रोफेसर सतीश राय, वरिष्ठ अधिवक्ता ओपी शर्मा, प्रोफेसर विनोद चंद्रा व अन्य लोगों ने भी संबोधित किया. वेबीनार का संचालन अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने किया.