Wednesday - 30 October 2024 - 5:42 AM

राजभर का खेला चालू है!  दयाशंकर सिंह से इस मुलाकात का बतंगड़ बनना तय!

जुबिली डेस्क न्यूज़

उत्तर प्रदेश में अगर कोई नेता सबसे अधिक सुर्खियों में रहता है तो वह है ओम प्रकाश राजभर। सुर्खियां इन्हें इतना पसंद है कि वे इसका एक भी अवसर छोड़ते नहीं। हाल के दिनों में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ तीखे बयानों की वजह से भी उन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी। टीवी चैनलों के कैमरे हों या यू ट्यूबर्स के माइक राजभर खुलकर अपनी राय जाहिर करते हैं। वैसे उनकी पहचान जमीनी नेता के तौर पर बनी है, क्योंकि वह टिककर लखनऊ में बैठते नहीं। लगातार क्षेत्र के दौरे पर रहते हैं।

सोमवार को राजभर अपने विधानसभा क्षेत्र जहूराबाद के ग्रामसभा नसीराबाद पहुंचने से पहले उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री दया शंकर सिंह के गांव का दौरा किया। दया शंकर के पिता को श्रद्धांजलि देने वे उनके गांव राजपुर (बक्सर) पहुंच गए। वैसे भी राजभर उन नेताओं की फेहरिस्त में गिने जाते हैं जो अपने कुनबे से बाहर भी दोस्ती रखना पसंद करते हैं। और समय समय पर सियासी संबंधों से ऊपर उठकर सामाजिक निभाने में यकीन रखते हैं।

ओम प्रकाश राजभर के मुताबिक भले ही वह बीजेपी के साथ नहीं लेकिन बीजेपी के कुछ नेताओं से उनके घनिष्ठ संबंध आज भी कायम हैं। दयाशंकर सिंह बीजेपी के उन नेताओं की सूची में सबसे ऊपर हैं, जिनके साथ राजभर करीबी होने का दावा करते हैं। दया शंकर सिंह के पैतृक गांव के दौरे के बाद मीडिया का एक वर्ग बीजेपी के साथ उनके भावी रिश्तों की भूमिका बनाने में जुटा है। लेकिन राजभर फिलहाल इस चर्चा को हवा नहीं देना चाहते। वे लगातार कह रहे हैं कि समाजवादी पार्टी के साथ उनका गठबंधन है और वे तब तक उनके साथ बने रहेंगे जब तक अखिलेश यादव उन्हें साथ रखने को तैयार हैं।

यह बात और है कि वह लगातार अखिलेश यादव की तीखी आलोचना कर रहे हैं। अभी रविवार को ही एक चैनल को इंटरव्यू में राजभर ने कह दिया कि शिवपाल यादव अखिलेश यादव के मुकाबले सपा में दमदार नेता हैं। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी में यदि मुलायम सिंह के बाद यदि कोई नेता परिपक्व है तो वह है शिवपाल यादव। राजभर के ऐसे बयानों की वजह से सपा के शीर्ष नेतृत्व में लगातार नाराजगी बढ़ रही है। यही वजह है कि राष्ट्रपति पद  के लिए विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की प्रेस कांफ्रेंस के लिए वे बुलाए नही गए। और तो और उनके बारे में पूछे जाने पर अखिलेश यादव ने यहां तक कह दिया वे उनकी समस्या हैं!

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फिलहाल राजभर पर इस वक्त नज़रें इस बात को लेकर लगी हैं कि वे राष्ट्रपति चुनाव में किसको वोट करते हैं। यशवंत सिन्हा के प्रेस कांफ्रेंस में नहीं बुलाए जाने के बाद वे मुख्यमंत्री आवास पर द्रौपदी मुर्मू के सम्मान में आयोजित पार्टी में शरीक भी हुए थे। उन्होंने दावा किया था कि मुर्मू ने उनसे समर्थन मांगा है। लेकिन वोट देने का फैसला पार्टी के फोरम पर बैठक में ही लेंगे। जाहिर है वे इस बारे में क्या कहेंगे इसपर सबकी नज़रें हैं। 12 जुलाई को वे प्रेस कांफ्रेंस करने वाले हैं। उन्होंने खुद ही ऐलान किया है कि अपनी पार्टी के भीतर इस मसले पर विचार करके वह मीडिया के सामने आएंगे।

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