जुबिली न्यूज डेस्क
राजस्थान में सियासी ड्रामा खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। पहले कांग्रेस विधायकों ने बगावत की और अब बीजेपी में बगावत की बू आ रही है।
बीजेपी खेमे में हलचल और चिंता दोनों देखी जा रही है। राज्य बीजेपी शीर्ष नेतृत्व की चिंता तब बढ़ी थी जब 14 अगस्त को विधानसभा के सदन में विश्वासमत प्रस्ताव के दौरान बीजेपी के 4 विधायक नहीं पहुंचे। इन विधायकों की गैरमौजूदगी से ये सवाल उठ रहा है।
14 अगस्त को विधानसभा में अनुपस्थित रहने वाले बीजेपी विधायकों में गोपीचंद मीणा, हरेंद्र निनामा, गौतम मीणा और कैलाश मीणा थे। इन लोगें पर शक है कि इन्होंने सदन से अनुपस्थित रहकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मदद की है। बीजेपी प्रदेश पदाधिकारियों ने जब इन चारों विधायकों ने अपनी सफाई में अजीबोगरीब बहाने बनाए हैं।
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भाजपा ने सदन से गायब रहने वाले अपने चारों विधायकों को 20 अगस्त को जयपुर तलब कर उनसे जवाब मांगा। सबसे मजेदार बात यह रही कि इन विधायकों ने अजीबोगरीब सफाई दी।
विधायकों से विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया से लेकर प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया तक ने पूछा कि व्हिप जारी होने के बावजूद विश्वासमत पर मतदान के वक्त वे कहां थे? इस पर चारों विधायकों के जवाब अजीब थे। एक ने कहा तबियत ठीक नहीं थी। दूसरे ने कहा गाड़ी खराब हो गई थी। तीसरे ने कहा जानकारी ही नहीं थी। चौथे ने कहा मौसम खराब था। हालांकि, चारों का कहना है, कि उन्होंने पार्टी के साथ गद्दारी नहीं की है।
फिलहाल बीजेपी इनके जवाब से संतुष्टï नहीं है। ऐसा कहा जा रहा है कि बीजेपी अब इन चारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकती है। बीजेपी इस कार्रवाई के जरिए मैसेज देना चाहती है कि आगे से कोई इस तरह की गलती नहीं करे। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि चारों का जबाब सुना गया है। अब पार्टी तय करेगी कि इन चारों को लेकर क्या फैसला करना है।
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तो क्या गहलोत से मिले थे ये विधायक?
भाजपा को ऐसी आशंका हे कि ये चारों विधायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिल गए थे। आंशका की एक और वजह है। वह यह है कि विश्वासमत से पहले भाजपा को जानकारी मिली थी की गहलोत की टीम उनकी पार्टी के 12 विधायकों की खरीद फरोख्त करने की कोशिश कर रही है।
भाजपा के पास जिन 12 विधायकों के नाम थे, उनमें ये चार विधायक भी शामिल थे। इस सूचना के बाद ही बीजेपी ने अपने 18 विधायकों को गुजरात भेजकर बाड़ेबंदी की थी।
इसके अलावा शक करने की एक बड़ी वजह ये है कि खुद गहलोत ने सचिन पायलट के लौटने के बाद विधायक दल की बैठक में कहा था कि सरकार तो पायलट गुट के नहीं लौटने पर भी वह बचा लेते।
दरअसल इन चार विधायकों के गैरहाजिर रहने की वजह से ही भाजपा ने सदन में विश्वासमत पर मत विभाजन की मांग नहीं की थी। अगर ऐसा होता तो विपक्ष में 75 के बजाय 71 वोट ही पड़ते। दरअसल, सचिन पायलट की वापसी के पीछे भी एक वजह बीजेपी की फूट मानी जा रही थी। गहलोत की बीजेपी में सेंधमारी का डर भी बड़ा कारण था।