जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। राजस्थान में सियासी उठापटक का दौर जारी है। कांग्रेस वहां पर दोबारा सत्ता पाना चाहती है लेकिन उसकी राह में सचिन पायलट है जो एक तरह से कांग्रेस में होकर अपनी पार्टी के खिलाफ बगावत का रूख अपना रहे हैं।
इतना ही नहीं सचिन पायलट ने अभी तक कांग्रेस छोड़ी नहीं लेकिन उनकी नाराजगी भी कम होने का नाम नहीं ले रही है। कहा तो ये जा रहा है कि आने वाले वक्त में वो भी कांग्रेस का साथ छोड़ सकते हैं लेकिन अब तक सचिन पायलट ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है।
उधर कांग्रेस छत्तीसगढ की तरह राजस्थान में भी चुनाव से पहले सबकुछ सही करना चाहती है। इसी सिलसिले में राजस्थान कांग्रेस के नेताओं के साथ कांग्रेस आलाकमान की एक मीटिंग हो रही है।
मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, सचिन पायलट, और अशोक गहलोत जयपुर से वर्चुअली मौजूद रहेंगे। मीटिंग के बाद दोपहर 3:30 बजे राहुल गांधी एक प्रेस कांफ्रेस करेंगे। माना जा रहा है कि राजस्थान में सियासी उठापटक पर कोई फैसला लिया जा सकता है।
बैठक में राजस्थान प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट, विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी, गुजरात प्रभारी और पूर्व मंत्री डॉ रघु शर्मा, पंजाब प्रभारी और पूर्व मंत्री हरीश चौधरी, राजस्थान कांग्रेस के तीनों सह प्रभारी काजी निजामुद्दीन, अमृता धवन और वीरेंद्र सिंह राठौड़, मंत्री शांति धारीवाल, रमेश मीणा, ममता भूपेश, भजन लाल जाटव, शकुंतला रावत, लालचंद कटारिया, गोविंद राम मेघवाल, मुरारी लाल मीणा, राजेंद्र यादव, प्रमोद जैन भाया, रामलाल जाट, प्रताप सिंह खाचरियावास, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, उदयलाल आंजना आदि नेता मौजूद हैं।
जानकारी मिल रही है कि छत्तीसगढ में टीएस सिंह देव को उपमुख्यमंत्री बनाकर उनकी नाराजगी को दूर किया गया ठीक उसी तरह सचिन पायलट को एक बार फिर से डिप्टी सीएम राजस्थान में बनाया जा सकता है। हालाँकि अभ तक इसपर सचिन पायलट ने अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा है।
बता दे कि साल 2023 धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। दरअसल ये साल भारतीय राजनीति के लिए बेहद खास है। कई राज्यों में विधान सभा चुनाव हो रहे हैं। इसके बाद लोकसभा चुनाव की भी उल्टी गिनती शुरू हो जायेगी।
इतना ही नहीं दोनों पार्टी अपने-अपने हिसाब से नई रणनीति पर काम कर रही है। हाल में कांग्रेस के दो राज्यों में सरकार बनी है।
हिमाचल प्रदेश के बाद कांग्रेस ने कर्नाट्रक में अच्छा प्रदर्शन किया और वहां पर अपनी सरकार बना डाली। कांग्रेस को अब राजस्थान और छत्तीसगढ़ से काफी उम्मीदें क्योंकि दोनों जगह पर उसकी सरकार है। दोनों ही राज्यों में इसी साल चुनाव होना है।
कांग्रेस के लिए राजस्थान काफी अहम है क्योंकि वहां पर गहलोत और पायलट के बीच जबरदस्त टकराव देखने को मिल रहा है।
कांग्रेस ने इस टकराव को कई बार खत्म करनी की पूरी कोशिश की लेकिन अभी तक उसकी कोशिशें रंग नहीं लाती दिखी है। कांग्रेस के लिए जितने अशोक गहलोत अहम है उतने ही सचिन पायलट भी कांग्रेस की बड़ी जरूरत है। ऐसे में जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं वैसे-वैसे कांग्रेस की टेंशन बढ़ रही है।
कांग्रेस चाहती है वक्त रहते ही दोनों का मामला सुलझ जाना चाहिए नहीं तो पंजाब की तरह वहां भी उसको सत्ता गवांनी पड़ सकती है। कांग्रेस सचिन पायलट को मनाने में जुट गई है।