न्यूज डेस्क
राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राजनीति में सक्रिय होंगे। आज समर्थकों के साथ 87 साल के कल्याण सिंह बीजेपी की सदस्यता लेंगे।
बता दें कि पिछले 5 सालों से कल्याण सिंह यूपी की सक्रिय सियासत से बाहर चल रहे थे। कल्याण सिंह यूपी के दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं। उनकी छवि कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी व प्रखर वक्ता की है। राम मंदिर आंदोलन में उनकी भूमिका बेहद अहम रही थी।
खबरों की माने तो कल्याण सिंह सोमवार को लखनऊ पहुंच रहे हैं। जहां यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उन्हें पार्टी कार्यालय लाएंगे और फिर से उन्हें बीजेपी की सदस्यता दिलाएंगे।
बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद कल्याण सिंह माल एवेन्यू स्थित अपने पौत्र के आवास पर पहुंचकर कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। माना जा रहा है कि बीजेपी उन्हें पिछड़े नेता के तौर पर आगे कर उपचुनाव में उनका इस्तेमाल करेगी। चुनाव में उनकी सभाएं भी लगाई जा सकती हैं।
दूसरी तरफ इस बात की भी चर्चा चल रही है कि उम्र के 87वें पड़ाव को पार चुके कल्याण सिंह के लिए क्या भारतीय जनता पार्टी अपने नियम को बदलेगी। दरअसल, लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी आलाकमान ने ये साफ संदेश दिया था कि 75 की उम्र पार चुके नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया जाएगा।
इसके तहत तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, कल्याण सिंह की तरह हिंदुत्व का चेहरा रहे पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे कद्दावर नेताओं को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था। इतना ही नहीं इसके बाद एक-एक करके कई वरिष्ठ नेताओं को राज्यपाल बनाकर या किसी अन्य वजह से सक्रिय राजनीति से अलग कर दिया गया।
अब जब कल्याण सिंह फिर से सक्रिय राजनीति में वापसी करने जा रहे हैं तो ये सवाल जरूर खड़ा हो रहा है कि आखिर बीजेपी में उनका क्या भविष्य होगा। और क्या उनके लिए बीजेपी अपने नियम बदलेगी। क्या वजह है कि उन्हें फिर से सक्रिय राजनीति में कदम रखना पड़ रहा है।
माना जा रहा है कि लंबे समय तक पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार कल्याण ने आगे की भूमिका के लिए खुद को तैयार करना शुरू कर दिया है। वहीं अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कल्याण सिंह एक बड़ी भूमिका में नजर आ सकते हैं।
लोध जाति से आने वाले पूर्व सीएम कल्याण सिंह बीजेपी का हिंदुत्व का चेहरा रहे हैं। राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शामिल कल्याण सिंह का अब बीजेपी कई मौकों पर इस्तेमाल करेगी।
बताते चले कि हिंदू चेहरे के रुप में बड़ी पहचान रखने वाले कल्याण सिंह का राम मंदिर आंदोलन से पुराना नाता रहा है। छह दिसंबर 1992 को जब अयोध्या में विवादित ढांचे का विध्वंस किया गया तो कल्याण सिंह ने पूरी घटना की जिम्मेदारी खुद ले ली थी और सरकार से इस्तीफा दे दिया था।
आने वाले दिनों में यूपी की 13 सीटों पर विधान सभा उप चुनाव होना है। अनुच्छेद 370 के खत्म होने व तीन तलाक कानून बनने के बाद अब नया समीकरण साधने की जुगत में है। राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि, हिंदुत्व के समीकरण को साधने के लिए कल्याण सिंह की वापसी हो रही है।
साथ ही सूत्रों का कहना है कि हाल ही में मंत्रिमंडल से पिछड़ों के नेता और पूर्व सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह की विदाई के बाद उन्हें भी पिछड़ों के नेता के तौर पर समाज को जोड़ने के काम में भी लगाया जाएगा।