जुबिली न्यूज डेस्क
जयपुर : राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर गुरुवार को भाजपा ने 58 उम्मीदवारों की घोषणा की। इसके बाद कई विधानसभा सीटों की स्थिति साफ हो चुकी है। राजस्थान की हॉट सीट बूंदी जिले की हिंडोली विधानसभा, जो गहलोत सरकार में खेल मंत्री अशोक चांदना का गढ़ है। इस बार बीजेपी ने उनके सामने दो बार केबिनेट मंत्री रह चुके प्रभु लाल सैनी को चुनावी मैदान में उतारा है। सैनी को अंता की जगह हिंडोली विधानसभा से उतारने के पीछे की वजह यह है कि इस सीट पर बीजेपी अब तक 10 सालों से हारती आई है।
इसलिए बीजेपी ने इस सीट को जीतने के लिए पूर्व मंत्री और मौजूदा भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष प्रभु लाल सैनी पर दांव खेला है। हालांकि प्रभु लाल सैनी हिंडोली-नैनवा विधानसभा से एक बार पहले भी विधायक रह चुके हैं। यह सीट माली समाज के बाहुल्य से जुड़ी हुई है। ऐसे में इस चुनाव में खेल मंत्री अशोक चांदना को प्रभुलाल सैनी से कड़ी टक्कर मिल सकती है।
10 सालों से तक रहा कांग्रेस का राज
राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों में बीजेपी ने इस बार सर्वे में A, B, C और D के रूप में 4 कैटेगरी बनाई है। हिंडोली विधानसभा बीजेपी की सर्वे के अनुसार सी कैटेगरी में शामिल है। इस सीट पर लगातार पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का दबदबा रहा है। कांग्रेस ने वर्ष 2013 और 2018 में लगातार जीत हासिल की है। दोनों ही बार अशोक चांदना यहां से विधायक चुने गए। कांग्रेस ने फिर से तीसरी बार चांदना को चुनाव मैदान में उतारा है। अशोक चांदना की जातिगत समीकरण के अनुसार यहां 55 हजार गुर्जर समाज के वोट है। यह आंकड़ा ही अब तक अशोक चांदना की जीत का आधार बना है।
हिंडोली से 2008 में विधायक चुने गए थे प्रभु लाल सैनी
प्रभु लाल सैनी इससे पहले भी हिंडोली से अपना भाग्य आजमा चुके हैं। 2008 में बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया। उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता हरिमोहन शर्मा को 6080 वोटों से हराया। हालांकि इस चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनी। इसके कारण प्रभुलाल सैनी विपक्ष में बैठे। इसके बाद प्रभु लाल सैनी को 2013 के विधानसभा चुनाव में बांरा जिले के अंता विधानसभा से उतारा। जहां उन्होंने प्रमोद जैन भाया को पटकनी दी। अंता विधानसभा सीट कांग्रेस के दिग्गज और मौजूदा मंत्री प्रमोद जैन भाया का गढ़ रही है। सैनी ने प्रमोद जैन भाया को उनके ही गढ़ में घुसकर मात दी। हालांकि पिछले 2018 के चुनाव में प्रमोद जैन ने अपनी हार का बदला लेते हुए सैनी को चुनाव हराया।
हिंडोली सीट जीतने के लिए प्रभु लाल सैनी की वापसी हुई
हिंडोली विधानसभा ऐसी सीटों में शामिल हैं। जहां बीजेपी लगातार दो विधानसभा चुनाव हारती आई है। इसको लेकर बीजेपी ने इस सीट को ‘सी’ कैटेगरी में रखा। हिंडोली विधानसभा से 2013 और 2018 के विधानसभा चुनाव में अशोक चांदना यहां से विधायक रहे। इस रिपोर्ट के बाद बीजेपी ने हिंडोली विधानसभा की सीट जीतने के लिए अंता से वापस प्रभुलाल सैनी को हिंडोली से उतारा है। इसकी वजह प्रभु लाल सैनी 2008 में यहां से विधायक रहे चुके हैं। सैनी ने कांग्रेस के दिग्गज हरिमोहन शर्मा को उनके ही क्षेत्र में आकर शिकस्त दी। माना जा रहा है कि इसी आधार पर बीजेपी ने प्रभु लाल सैनी पर हिंडोली से दांव खेला है। दूसरी वजह इस विधानसभा सीट में प्रभु लाल सैनी के पास अपनी ही जाति के 55 हजार वोटों का आधार है। जो उनकी जीत के समीकरणों को मजबूत बनाता है।
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हिंडोली विधानसभा की जातिगत समीकरण
हिंडोली-नेनवा विधानसभा क्षेत्र की जातिगत समीकरण की बात करें तो, यहां कुल मतदाता 2 लाख 50 हजार से ऊपर हैं। वहीं जातिगत समीकरण में SC वर्ग यहां का सबसे बड़ा वर्ग है। इस विधानसभा क्षेत्र से SC के 70 हजार वोट है। इसके अलावा गुर्जर और माली समाज दोनों ही जातियां SC के बाद विधानसभा का बाहुल्य वर्ग है। यहां से गुर्जर और माली दोनों ही जातियों के 55-55 हजार वोटर्स हैं। इसी तरह इस विधानसभा सीट पर मुस्लिम वोटर की भी काफी अच्छी संख्या है। यहां से करीब 30 से 32 हजार मुस्लिम समाज के वोट भी है। मीणा समाज के वोटर की बात करें तो करीब यहां करीब 50 हजार मतदाता हैं। रिपोर्ट-मनीष बागड़ी