जुबिली न्यूज डेस्क
राजस्थान में कांग्रेस खेमे में शांति के बाद अब बसपा खेमे की बेचैनी बढ़ गई है। बसपा को राजस्थान हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है।
सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने छह बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और भाजपा नेता मदन दिलावर की याचिकाओं को खारिज कर दिया।
जस्टिस महेंद्र गोयल की एकल पीठ ने कहा कि इस संबंध में अंतिम फैसला विधानसभा अध्यक्ष ही करेंगे। कोर्ट ने इस संबंध में बसपा से विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर करने के लिए कहा है। इसके अलावा बीजेपी नेता की याचिका पर मैरिट के आधार पर सुनवाई कर फैसला देने के लिए निर्देश दिए हैं।
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विधानसभा अध्यक्ष का पक्ष रखने वाले वकील ने बताया कि कोर्ट ने मदन दिलावर की रिट याचिका का निपटारा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष से 16 मार्च को दर्ज की गई शिकायत पर सुनवाई करने और तीन महीने के अंदर इसे गुण दोष के आधार पर निपटाने को कहा है।
उच्च न्यायालय में बसपा और बीजेपी विधायक मदन दिलावर ने याचिका लगाकर विधानसभा अध्यक्ष के 18 सितम्बर 2019 के फैसले को चुनौती दी थी। दिलावर ने छह विधायकों- संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लाखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुढ़ा के कांग्रेस में विलय को चुनौती दी है।
18 सितंबर 2019 को विधानसभा अध्यक्ष ने बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय को मंजूरी दी थी। दोनों याचिकाओं में उच्च न्यायालय से सभी 6 विधायकों की सदस्यता रद्द करने का आग्रह किया गया था।
उच्च न्यायालय ने लंबी सुनवाई के बाद 14 अगस्त को मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी। कोरोना महामारी के कारण फैसला नहीं सुनाया जा सकता था, इस पर सोमवार को फैसला सुना दिया गया।
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कब क्या हुआ?
बसपा विधायकों ने 16 सितंबर, 2019 को विधानसभा अध्यक्ष को सत्तापक्ष पार्टी में शामिल होने की अर्जी दी थी और 18 सितंबर, 2019 को अध्यक्ष ने बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल किया।
भाजपा नेता मदन दिलावर ने 16 मार्च 2020 को स्पीकर के समक्ष शिकायत याचिका पेश की। 22 जुलाई 2020 को अध्यक्ष ने तकनीकी आधार पर भाजपा नेता की याचिका को खारिज कर दिया। फिर 24 जुलाई 2020 को भाजपा विधायक दिलावर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में उन्होंने स्पीकर द्वारा कार्यवाही नहीं करने को चुनौती दी।