जुबिली न्यूज डेस्क
जयपुर : राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को मतदान संपन्न हो गया। राजस्थान की 199 विधानसभा सीटों पर इस बार रिकॉर्ड 74.96% वोटिंग हुई है। जिसने वर्ष 2018 के चुनाव के 74.06% रिकॉर्ड को तोड़ा है। वोटिंग प्रतिशत बढ़ने के बाद सियासत में एक नई बहस शुरू हो गई है।
वोटिंग प्रतिशत बढ़ने से राजनीतिक जानकार इसके अपने-अपने मायने निकाल रहे हैं। इसको लेकर कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि वोटिंग बढ़ने से कांग्रेस सरकार रिपीट हो रही हैं। वहीं कुछ एक्सपर्ट परसेंटेज बढ़ने के पीछे सत्ता विरोधी लहर मान रहे हैं। हालांकि अधिकतर एक्सपर्ट की राय है कि वोटिंग बढ़ना कांग्रेस के लिए नुकसानदायक है। इसे सत्ता विरोधी लहर कहा जा सकता है।
जानें क्या है एक्सपर्ट की राय
राजस्थान में 1% से भी कम परसेंटेज बढ़ने के पीछे राजनीतिक एक्सपर्ट अलग-अलग मायने मान रहे हैं। कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि जब भी वोटिंग परसेंटेज बड़ा है। वह सत्ता के विरोध में हुआ है। वहीं कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि इस बार अधिक वोटिंग परसेंटेज के पीछे सरकारी कर्मचारियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। जैसे ओल्ड पेंशन योजना को लेकर कर्मचारियों और चिरंजीवी बीमा योजना को लेकर आमजन में अच्छा रुझान देखने को मिला है। ऐसे में एक्सपर्ट का मानना है कि इस वजह से सत्ता पक्ष में यह लहर हो सकती है। वहीं कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि इस बार स्पष्ट बहुमत किसी भी दल को नहीं मिलेगा। चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस। इस चुनाव में निर्दलीय रूप से चुने जाने वाले विधायकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी।
जानिए किस एक्सपर्ट ने क्या राय दी है
राजस्थान के सीनियर जर्नलिस्ट और राजनीतिक विश्लेषक एसपी मित्तल का कहना है कि अब तक जब भी वोटिंग परसेंटेज बढ़े है, उससे सत्ता पक्ष को नुकसान पहुंचा है। इस बार भी उनका अनुमान है की वोटिंग परसेंटेज बढ़ने से बीजेपी को इसका फायदा मिल रहा है। युवाओं ने बढ़ चढ़कर मतदान किया है। जिससे भाजपा को फायदा मिल सकता है। इसी तरह राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र बागड़ी का भी यही कहना है कि वोटिंग परसेंटेज बढ़ने से बीजेपी को फायदा है और यह सत्ता विरोधी मतदान है।
वोटिंग परसेंटेज बढ़ने से सत्ता पक्ष को मिलेगा फायदा
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के सीनियर जर्नलिस्ट मनोज तिवारी का मानना है कि वोटिंग परसेंटेज बढ़ने से सत्ता पक्ष को फायदा मिल सकता है। क्योंकि इस बार कर्मचारी की भूमिका महत्वपूर्ण नजर आई है। कर्मचारियों ने कांग्रेस के पक्ष में बढ़ चढ़कर मतदान करवाया है। वहीं OPS और चिरंजीवी बीमा योजना के कारण भी कर्मचारियों और आमजन में काफी उत्साह देखा गया है। जिसका कांग्रेस को फायदा मिल सकता है।
ये भी पढ़ें-तेज तर्रार गेंदबाज मोहम्मद शमी ने फरिश्ता बनकर बचाई शख्स की जान…
सबसे अधिक वोटिंग जैसलमेर में हुई
राजस्थान में शनिवार को हुए विधानसभा चुनाव में इस बार वोटिंग प्रतिशत बढ़ा हुआ दिखाई दिया। आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो, सबसे ज्यादा वोटिंग जैसलमेर जिले में हुई। जहां 82.32 % मतदान हुआ। जबकि सबसे कम मतदान पाली जिले में हुआ। जहां 65.12% मतदान हुआ है। इसी तरह कम मतदान परसेंटेज वाले जिलों में सिरोही 66.62% करौली 68.38% और जालौर 69.56% मतदान हुआ। इनमें जैसलमेर की पोकरण सीट पर सबसे सर्वाधिक मतदान 87.79% मतदान हुआ है।