जुबिली स्पेशल डेस्क
हरियाणा में एक बार फिर बीजेपी सत्ता में आ रही है। उसने एक बार फिर कांग्रेस को पराजित करते हुए बहुमत हासिल कर लिया है।
हालांकि एक्जिट पोल के आंकड़े कांग्रेस के पक्ष में थे लेकिन वोटो गिनती में जब हुई तो कांग्रेस के हाथ से बाजी निकल गई और बीजेपी हरियाणा में लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने जा रही है। अब सवाल है कि कांग्रेस की हार की असली वजह क्या है।
कई लोग कह रहे हैं कि पार्टी के अंदर एक राय नहीं रही और कलह की वजह से पार्टी को एक बार फिर नुकसान उठाना पड़ा है।
इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी की आंतरिक अव्यवस्था बीजेपी के लिए एक नया रास्ता बनाने का काम किया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा जैसी पार्टी नेताओं के बीच तालमेल की कमी पूरी तरह से देखा जा सकता है। वहीं अगर हरियाणा कांग्रेस राहुल गांधी की बात मान लेते तो हरियाणा की तस्वीर कुछ और होती। अब सवाल है कि राहुल गांधी की आखिर कौन सी बात है जिसे हरियाणा कांग्रेस ने नजरअंदाज कर दिया था। दरअसल राहुल गांधी ने हरियाणा कांग्रेस नेताओं को आम आदमी पार्टी एवं अन्य दलों से गठबंधन की भी सलाह दी थी, लेकिन स्थानीय नेताओं ने राहुल की बात को भी नजरअंदाज कर दिया और इसका नतीजा ये रहा कि पार्टी को एक बार फिर सत्ता से दूर रहना पड़ा।
हरियाणा में कांग्रेस को 37 और इनेलो 2 सीटों पर जीत मिली है। अगर इन 7 सीटों पर और कांग्रेस ने गठबंधन के सहयोग से जीत हासिल कर लेती तो संख्या 46 के करीब पहुंच जाती। सरकार बनाने के लिए इतनी ही सीटों की जरूरत थी। इन पार्टियों के साथ लेने से गठबंधन के वोट बैंक में भी बढ़ोतरी होती।
कांग्रेस को 39 प्रतिशत वोट मिले हैं, जो बीजेपी से करीब एक प्रतिशत कम है. चुनाव में इनेलो को 4 और आप-बीएसपी को 1-1 प्रतिशत वोट मिले हैं।
कुल वोट प्रतिशत 45 के करीब पहुंच जाता। तीनों दलों के साथ अगर कांग्रेस तालमेल बैठा लेती तो वो बहुमत के करीब पहुंच जाती है। अच्छी बात ये भी तीनों ही दल कांग्रेस के साथ गठबंधन करने को लगभग तैयार थे लेकिन कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने ऐसा होने नहीं दिया और अकेले चुनाव लडऩे की जिद ने कांग्रेस को डुबोकर रख दिया।