न्यूज डेस्क
राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है, जिसके बाद नए कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति तक वरिष्ठ नेता मोलीलाल वोरा कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष होंगे।
खबरों की माने तो कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव प्रकिया के दौरान गांधी परिवार का कोई सदस्य भारत में नहीं होगा। सोनिया गांधी और राहुल गांधी अमेरिका जा रहे है। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पहले से ही अमेरिका में हैं।
राहुल गांधी के कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद उनकी बहन और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इसपर पहली बार अपनी प्रतिक्रिया दी है। प्रियंका गांधी ने लिखा कि राहुल गांधी ने इस्तीफा देकर हिम्मत दिखाई है, ऐसा करने की क्षमता कुछ ही लोगों में होती है। मैं उनके फैसले का दिल से सम्मान करती हूं।
Few have the courage that you do @rahulgandhi. Deepest respect for your decision. https://t.co/dh5JMSB63P
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 4, 2019
अब बड़ा सवाल उठता है कि कांटों से भरी कांग्रेस अध्यक्ष पद की कुर्सी पर कौन बैठेगा। क्योंकि कांग्रेस के इतिहास को देखा जाए तो हमेशा से पार्टी पर गांधी परिवार का ही कब्जा रहा है। अगर किसी को जिम्मेदारी दी गई है तो वो भी गांधी परिवार के कहने पर ही काम करता दिखा। कभी उनके छत्रछाया से बाहर आकर अपने फैसले नहीं ले पाया और अगर किसी ने अपने फैसले लेने की कोशिश की तो उसे गांधी परिवार ने बेइज्जत करके पद से हटा दिया।
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि जिस तरह 2004 से लेकर 2014 तक मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री थे, लेकिन इस दौरान उन पर आरोप लगा कि वो सिर्फ नाम के प्रधानमंत्री थे। मनमोहन सिंह पर आरोप लगा कि वे सोनिया गांधी की खड़ाऊ लेकर 10 साल तक देश की सत्ता संभाल रहे थे। सोनिया गांधी जितना बोलती मनमोहन उतना ही करते।
ठीक इसी प्रकार सीताराम केसरी के साथ हुआ। 1996 में पिछड़ी जाति से आने वाले और कांग्रेस के लोकप्रिय नेता सीताराम केसरी को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। उनका कार्यकाल मार्च 1998 तक रहा।
अंग्रेज़ी में बेहद कमजोर केसरी ज़्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं थे और मामूली पृष्ठभूमि से आने वाले केसरी ने गर्व से कहना शुरू कर दिया वो पार्टी के सामान्य कार्यकर्ताओं ने उन्हें सर्वोच्च पद तक पहुंचाया है। कांग्रेस में सोनिया के करीबी और कई वरिष्ठ नेता केसरी को कोई तवज्जो देते थे लेकिन केसरी को हमेशा ये ग़ुमान रहता था कि वो एक चुने हुए पार्टी अध्यक्ष है। इस कारण वो अपने अध्यक्ष पद को बहुत गंभीरता से लेते थे।
ऐसा लगता था वो अपने आप को एक सामान्य पृष्ठभूमि का नेता बताकर सोनिया और नेहरू-गांधी परिवार को चुनौती दे रहे हैं। इस बात उनको खामियाजा भी भुगतना पड़ा। बताया जाता है कि उनको सोनिया गांधी ने अध्यक्ष पद से बेहद बुरी तरह बेइज्जत करके हटा दिया था।
137 साल पुरानी पार्टी के इतिहास को देखा जाए तो सरदार वल्लभ भाई पटेल से लेकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तक कई दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस को अपनी मेहनत से संभाला और चलाया लेकिन हमेशा उनके ऊपर गांधी परिवार को तवज्जो दिया गया। अब जब कांग्रेस की स्थिति दयनीय हो गई है और सिर्फ चाटूकार नेता ही बचे हैं तो राहुल गांधी की आंखे खुली हैं।
राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद से ही कह रहें हैं कोई गैर गांधी नेता आकर कांग्रेस की कमान संभाले। कांग्रेस के पास मल्लिकार्जुन खड़गे, पी चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, शीला दीक्षित, अशोक चव्हाण, कपील सिब्बल, सलमान खुर्शीद, जयराम रमेश, नाना पटोल, प्रमोद तिवारी, राज बब्बर, सुशील कुमार शिंदे, सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे दिग्गज नेता हैं जिनके पास क्षमता है वो कांग्रेस पार्टी को खड़ा कर सकते हैं।
लेकिन इन सभी नेताओं के मन ये सवाल भी घूम रहा होगा की क्या अध्यक्ष पद की कुर्सी पर बैठने के बाद गांधी परिवार उनके लिए फैसले को बदल तो नहीं देगा। क्या मनमोहन और केसरी जैसा व्यवहार उनके साथ तो नहीं होगा।