न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सरकारी नौकरी में आरक्षण को लेकर की गई टिप्पणी के बाद राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है। कांग्रेस की ओर से इस मसले पर मोदी सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है और सर्वोच्च अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर करने के लिए कहा जा रहा है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस मसले पर मोदी सरकार पर जमकर बरसे और कहा कि बीजेपी-RSS के डीएनए को आरक्षण चुभता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि RSS-BJP की विचारधारा आरक्षण के खिलाफ है, वह किसी न किसी तरीके से रिजर्वेशन को हिंदुस्तान के संविधान से निकालना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि पहले उन्होंने रविदास मंदिर तोड़ा क्योंकि जो एससी-एसटी कम्युनिटी है ये लोग उसे आगे नहीं बढ़ने देना चाहते हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी बोले, मैं कह रहा हूं आरएसएस और बीजेपी वाले कितना भी सपना देख लें हम आरक्षण को खत्म नहीं होने देंगे।
Rahul Gandhi: BJP & RSS’s ideology is against reservations. They never want SC/STs to progress. They’re breaking the institutional structure. I want to tell SC/ST/OBC&Dalits that we’ll never let reservations come to an end no matter how much Modi Ji or Mohan Bhagwat dream of it. pic.twitter.com/eyCLigBa8q
— ANI (@ANI) February 10, 2020
उन्होंने कहा कि सरकार संविधान पर लगातार हमला कर रही है। संसद में हम बोलने नहीं दे रहे हैं और ज्यूडिशरी पर दवाब बना रहे हैं। मैं हिन्दुस्तान की जनता को कह रहा हूं खास तौर पर दलित, एससी/एसटी समाज के लोगों को मोदी जी सपना देखें या मोहन भागवत जी सपना देखें हम आरक्षण को खत्म नहीं होने देंगे।
इससे पहले लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने भी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले के प्रति नाराजगी जाहिर कर चुका है। एलजेपी सांसद चिराग पासवान ने ट्वीट कर कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट द्वारा 7 फरवरी 2020 को दिए गए निर्णय जिसमें उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरी/पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है।’
उन्होंने कहा था कि एलजेपी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सहमत नहीं है यह निर्णय पूना पैक्ट समझौते के खिलाफ है। चिराग ने कहा कि उनकी पार्टी भारत सरकार से मांग करती है कि तत्काल इस संबंध में कदम उठाकर पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था जिस तरीके से चल रही है उसी तरीके से चलने दिया जाए।
प्रमोशन में आरक्षण पर सरकार संसद के दोनों सदनों में जवाब देगी। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि इस मामले में सरकार जवाब देगी। वहीं, राज्यसभा में मोदी सरकार इसपर 2 बजे के करीब जवाब देने वाली है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए बाध्य नहीं है। किसी का मौलिक अधिकार नहीं है कि वह प्रमोशन में आरक्षण का दावा करे। कोर्ट इसके लिए निर्देश जारी नहीं कर सकता कि राज्य सरकार आरक्षण दे।
सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी जजमेंट (मंडल जजमेंट) का हवाला देकर कहा कि अनुच्छेद-16 (4) और अनुच्छेद-16 (4-ए) के तहत प्रावधान है कि राज्य सरकार डेटा एकत्र करेगी और पता लगाएगी कि एससी/एसटी कैटिगरी के लोगों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं ताकि प्रमोशन में आरक्षण दिया जा सके। लेकिन ये डेटा राज्य सरकार द्वारा दिए गए रिजर्वेशन को जस्टिफाई करने के लिए होता है कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
लेकिन ये तब जरूरी नहीं है जब राज्य सरकार रिजर्वेशन नहीं दे रही है। राज्य सरकार इसके लिए बाध्य नहीं है। और ऐसे में राज्य सरकार इसके लिए बाध्य नहीं है कि वह पता करे कि पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं। ऐसे में उत्तराखंड हाई कोर्ट का आदेश खारिज किया जाता है और आदेश कानून के खिलाफ है।