न्यूज़ डेस्क
लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी की हार की समीक्षा करने के लिए आज कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक दिल्ली में चल रही है। खबरों की माने तो राहुल गांधी इस बैठक में हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा की पेशकश की है।
सूत्र बताते हैं कि बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राहुल को समझाया कि इस्तीफे की जरूरत नहीं है। हार जीत लगी रहती है। राहुल की पेशकश के बाद सभी सदस्यों ने कहा कि आप इस्तीफा न दें। बैठक से पहले प्रियंका गांधी और मनमोहन सिंह ने बात की।
कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी की करारी हार के कारणों की समीक्षा भी की जाएगी, जहां पार्टी ने पांच महीने पहले ही सरकार बनाई है। इस बैठक में यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी, डॉ. मनमोहन सिंह, दीपेंद्र हुड्डा, ज्योतिरादित्य सिंधिया, केसी वेणुगोपाल समेत कई दिग्गज नेता पहुंच चुके हैं।
इससे पहले कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और ओडिशा के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों ने राज्यों में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना इस्तीफा पहले ही राहुल गांधी को भेज दिया है।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ रही कांग्रेस का 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में खाता तक नहीं खुला। पार्टी लक्षद्वीप, दमन एवं दीव, चंडीगढ़, राजस्थान, दादर एवं नगर हवेली, सिक्किम, मिजोरम, दिल्ली, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, मणिपुर और नागालैंड में एक सीट भी नहीं जीत पाई।
साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पारंपरिक सीट अमेठी भी नहीं बचा पाए और बीजेपी की स्मृति ईरानी से हार गए। स्मृति ईरानी ने राहुल को 55 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी।
2014 के आम चुनाव में कांग्रेस कुल 44 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं इस बार कांग्रेस की सिर्फ 8 सीटें बढ़ीं हैं। इस लोकसभा चुनाव में पार्टी को महज 52 सीट मिली हैं, जिससे उसे लोकसभा में विपक्ष का भी दर्जा नहीं मिलेगा। इसके लिए भी 54 का आंकड़ा चाहिए।
इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
सीडब्ल्यूसी में कांग्रेस के चुनावी कैंपेन को लेकर भी चर्चा हो सकती है। माना जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी पर निजी हमले करने (चौकीदार चोर है), राफेल मुद्दे को अन्य मुद्दों से ज्यादा तूल देने, बेरोजगारी और किसानों के मुद्दे को सही से न भुनाने, सैम पित्रौदा और मणिशंकर अय्यर जैसे नेताओं के विवादित बयानों को भी पार्टी नजरअंदाज नहीं कर सकती।