जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुसीबत बढ़ सकती है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) इसकी वजह है। उसने दिल्ली हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है। इस हलफनामे में एनसीपीसीआर ने बताया है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी का दिल्ली रेप पीड़िता के माता-पिता के साथ अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट करना गंभीर अपराध है। उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
यह तस्वीर शेयर करने के लिए राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के अनुरोध वाली याचिका पर अदालत में आयोग ने अपनी स्थिति साफ की। आयोग ने कहा कि किशोर न्याय कानून के अलावा बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) कानून और भारतीय दंड संहिता में भी किसी नाबालिग पीड़िता की पहचान का खुलासा करना दंडनीय अपराध है।
एनसीपीसीआर ने अपने हलफनामे में कहा है, ‘राहुल गांधी ने नाबालिग लड़की की पहचान उजागर की है। अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर उन्होंने नाबालिग पीड़िता के माता-पिता के साथ अपनी मुलाकात की एक तस्वीर पोस्ट की थी। राहुल गांधी का ट्वीट/पोस्ट किशोर न्याय कानून, 2015 के प्रावधान का उल्लंघन है। इसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि परिवार की जानकारियों समेत ऐसी कोई जानकारी मीडिया के रूप में प्रकाशित नहीं की जानी चाहिए जिससे किसी भी नाबालिग पीड़िता की पहचान हो सकती है।’ इस दलित बच्ची की 2021 में कथित तौर पर रेप के बाद हत्या कर दी गई थी।
क्या है मामला?
दिल्ली हाईकोर्ट ने एनसीपीआर से मार्च में सामाजिक कार्यकर्ता मकरंद सुरेश म्हाडलेकर की याचिका पर जवाब मांगा था। इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ एक दलित ब्च्ची की पहचान उजागर करने को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई है। नौ वर्षीय दलित बच्ची की एक अगस्त 2021 को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। बच्ची के माता-पिता का आरोप है कि उसका बलात्कार कर हत्या की गई। दक्षिण पश्चिम दिल्ली के ओल्ड नंगल गांव के श्मशान घाट में कर्मकांड कराने वाले व्यक्ति ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया था।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरुला की पीठ ने गुरुवार को याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 23 नवंबर की तारीख तय की। एनसीपीसीआर ने अपने हलफनामे में कहा कि कांग्रेस नेता की ओर से किए ‘गंभीर अपराध’ को देखते हुए उसने शिकायत दिल्ली पुलिस को भेजी थी। ट्विटर से पोस्ट हटाने और उनके ट्विटर हैंडल के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा था। हलफनामे में कहा गया है कि ट्वीट को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया। लेकिन, इस पोस्ट को हटाया नहीं गया। यह देश के बाहर उपलब्ध है। ट्विटर की निष्क्रियता पीड़िता की पहचान उजागर करती है। यह भारतीय कानूनों का उल्लंघन है।