जुबिली न्यूज डेस्क
कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन सत्रहवें दिन भी जारी है। सरकार से वार्ता विफल होने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन और तेज कर दिया है। हरियाणा और पंजाब से किसानों का बड़ा दल दिल्ली बॉर्डर पहुंच रहा है।
Haryana: Farmers head to Delhi, to join the agitation at the borders of the national capital against Central Government's #FarmLaws.
Visuals from Kurukshetra. pic.twitter.com/xIBoPWKWaA
— ANI (@ANI) December 12, 2020
कुरुक्षेत्र जिले में किसान ट्रैक्टरों में बैठकर दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं। सड़क पर ट्रैक्टरों की लंबी कतार दिखाई दे रही है, जिसमें इलाके के किसान सवार होकर दिल्ली के लिए कूच कर रहे हैं। ये सभी दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन देने के लिए निकले हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ गाज़ीपुर बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं। भारतीय किसान यूनियन से श्यामसुंदर ने बताया, "आज हमने टोल प्लाज़ा पर मुफ्त टोल किया है। सरकार बात करने के लिए तैयार हैं लेकिन कृषि कानून वापस लेने को तैयार नहीं है।" #FarmersProtests pic.twitter.com/EHRPD6DIMW
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 12, 2020
दूसरी ओर भीषण ठंड की वजह कई आंदोलनकारी किसान बीमार हो गए हैं तो वहीं कई को अपनी जान गंवानी पड़ी है।इस मामले में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि सरकार भीषण ठंड के बावजूद आंदोलन करने को मजबूर किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है इसलिए उसे बताना चाहिए कि किसानों को अभी कितनी आहुति देनी होगी।
राहुल गांधी ने शनिवार को कहा, “कृषि कानूनों को हटाने के लिए हमारे किसान भाइयों को और कितनी आहुति देनी होगी।”
कृषि क़ानूनों को हटाने के लिए हमारे किसान भाइयों को और कितनी आहुति देनी होगी? pic.twitter.com/GSnazbYDoA
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 12, 2020
वहीं, कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “ पिछले 17 दिनों में 11 किसान भाईयों की शहादत के बावजूद निरंकुश मोदी सरकार का दिल नहीं पसीज रहा। वह अब भी अन्नदाताओं के साथ नहीं, अपने धनदाताओं के साथ क्यों खड़ी है। देश जानना चाहता है-“राजधर्म” बड़ा है या “राजहठ” किसान आंदोलन।”
ये भी पढ़े : ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ में खुलासा, जाने क्यों कमजोर हुई कांग्रेस
ये भी पढ़े : थायराइड को जड़ से खत्म करना है तो खाएं ये चीजें
पिछले 17 दिनों में 11 किसान भाईयों की शहादत के बावजूद निरंकुश मोदी सरकार का दिल नहीं पसीज रहा।
वह अब भी अन्नदाताओं नहीं, अपने धनदाताओं के साथ क्यों खड़ी है?
देश जानना चाहता है-“राजधर्म” बड़ा है या “राजहठ” ?#किसान_आंदोलन #FarmersProtests pic.twitter.com/izzO3OPgEP
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) December 12, 2020
उन्होंने कहा, “ लोकतंत्र में निरंकुशता का कोई स्थान नहीं। आप और आपके मंत्रियों की नीति हर विरोधी को माओवादी और देशद्रोही घोषित करने की है। भीषण ठंड और बरसात में जायज़ माँगों के लिए धरने पर बैठे अन्नदाताओं से माफ़ी माँगिए और उनकी माँगें तत्काल पूरी करिए।”